उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के एक प्रमुख चेहरा और केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर अक्सर अपने पद के कारण चर्चा में रहते हैं। अब ताजा मामला उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित उनके आवास से जुड़ा है। यहां एक शख्स की शुक्रवार को गोली मारकर हत्या कर दी गई, जो उनके बेटे का दोस्त बताया जा रहा है।
लखनऊ के मोहनलालगंज से भाजपा सांसद और उत्तर प्रदेश में पार्टी की अनुसूचित जाति शाखा के पूर्व प्रमुख, 63 वर्षीय किशोर को 2021 के कैबिनेट विस्तार में नरेंद्र मोदी सरकार में शामिल किया गया था। उस वक्त उनको राज्य मंत्री का पोर्टफोलियो दिया गया था।
2002 में किशोर ने मलिहाबाद सीट से पहला विधानसभा चुनाव जीता
मोहनलालगंज क्षेत्र में एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पहचान बनाने वाले कौशल किशोर ने लगभग 20 पहले अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। 2002 में किशोर ने लखनऊ की मलिहाबाद सीट से विधानसभा का चुनाव जीता। इसके बाद उनको मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री बनाया गया।
कौशल किशोर की पत्नी जया भी राजनीति में
कौशल किशोर की पत्नी जया देवी भी राजनीति में हैं। वो मलिहाबाद (सुरक्षित) सीट से दो बार बीजेपी की विधायक चुनी गई हैं। किशोर के तीन बेटे थे। जिनमें एक की नशे की लत का कारण निधन हो चुका है। इसके बाद किशोर ने नशे के खिलाफ लड़ाई को एक अभियान के रूप में अपनाया है।
2021 में उनके एक बेटे और आयुष को गोली लगी थी। पुलिस की जांच से पता चला था कि उसने खुद पर हमले की साजिश रची थी। वहीं शुक्रवार को किशोर के घर पर मृत पाया गया व्यक्ति दंपति के तीसरे बेटे विकास का दोस्त बताया गया था।
कोविड के दौरान कौशल किशोर के भाई की मौत हो गई। उसके बाद उन्होंने यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए थे और बीजेपी सरकार पर निशाना साधा था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे पत्र में किशोर ने लखनऊ के सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर चिंता व्यक्त की थी।
श्रद्धा वॉल्कर की हत्या के युवतियों को सुझाव दे चुके हैं किशोर
पिछले साल श्रद्धा वॉल्कर की उसके कथित लिव-इन-पार्टनर आफताब पूनावाला द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसके बाद किशोर ने उन युवतियों से सवाल किया था, जिन्होंने ऐसे रिश्तों के कारण अपने माता-पिता को छोड़ दिया था। साथ ही उन्होंने इसके लिए उचित पंजीकरण का सुझाव दिया था।
पिछले महीने किशोर और उनकी पत्नी ने यूपी के स्थानीय अधिकारियों पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाने का आरोप लगाया था। पासी समुदाय पर उनके प्रभाव के कारण ही किशोर आज भी सत्ता और प्रभाव का आनंद ले रहे हैं और उनके बयानों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हो रही है।
मंत्री बनने के तुरंत बाद कौशल किशोर ने समाजवादी पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने खुद की अपनी पार्टी बना ली। कहा जाता है कि वो लोकसभा में जाना चाहते थे।
2014 में पहली बार बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव जीता
2004 के लोकसभा चुनाव में वह मोहनलालगंज सीट से महज 577 वोटों के साथ पांचवें स्थान पर रहे, लेकिन जैसे ही उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा। बीजेपी ने उन्हें 2014 के लोकसभा चुनाव का टिकट दे दिया। इस चुनाव में उन्होंने बसपा प्रत्याशी आरके चौधरी के खिलाफ 4.55 लाख वोट पाकर जीत हासिल की।
2019 के लोकसभा चुनाव में कौशल किशोर ने इस सीट से दोबारा जीत हासिल की। इस जीत में उनके वोट प्रतिशत में इजाफा हुआ। जिससे बसपा के सीएल वर्मा के खिलाफ उनके वोट बढ़कर 6.29 लाख हो गए। इसके बाद बीजेपी हाईकमान ने उन्हें भाजपा के SC विंग का प्रभारी बनाया।
मोदी सरकार के 2021 के मंत्रिमंडल विस्तार में किशोर को शामिल किए जाने को 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले एससी समुदाय के मतदाताओंको लुभाने की कोशिश के रूप में देखा गया। सूत्रों ने कहा कि किशोर ने 2022 में अपने एक बेटे के लिए भी टिकट की पैरवी की, लेकिन भाजपा केवल उनकी पत्नी जय देवी को फिर से मैदान में उतारने पर ही सहमत हुई थी।
सूत्रों ने कहा कि विकास भी राजनीतिक रूप से सक्रिय है, कौशल किशोर उसे संभावित राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं। माना जाता है कि किशोर के घर पर जिस बंदूक का इस्तेमाल उस व्यक्ति को गोली मारने के लिए किया गया, वह विकास के नाम पर है। कथित तौर पर घटना के समय विकास घर पर नहीं, बल्कि दिल्ली में था। हालांकि, इस घटनाक्रम की जांच पुलिस कर रही है।