बहुजन समाजवादी पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को “बीजेपी की बी-टीम” होने के आरोपों पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी नहीं बल्कि सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव खुले तौर पर भाजपा के साथ मिले हुए हैं। इस दौरान उन्होंने अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने को लेकर भी मुलायम पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अपने काम के लिए अपना एक आदमी भाजपा में भेज दिया है। हालांकि, उन्होंने मुलायम सिंह यादव की बहू का नाम सीधे तौर नहीं लिया। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2017 में उन्होंने शपथ ग्रहण समारोह के दौरान अखिलेश को आशीर्वाद भी दिलाया था।
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सपा पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, “यूपी में अंबेडकरवादी लोग कभी भी सपा मुखिया अखिलेश यादव को माफ नहीं करेंगे, जिन्होंने अपनी सरकार में इनके नाम से बनी योजनाओं व संस्थानों आदि के नाम अधिकांश बदल दिये , जो अति निन्दनीय व शर्मनाक भी है।” मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा, “बीजेपी से बीएसपी नहीं बल्कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह खुलकर मिले है, जिन्होंने बीजेपी के पिछले शपथ में अखिलेश को आर्शीवाद भी दिलाया और अब अपने काम के लिए एक सदस्य को बीजेपी में भेज दिया है। यह जग-जाहिर है।”
इससे पहले सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने मायावती पर निशाना साधते हुए बसपा का भाजपा के साथ मिली भगत का आरोप लगाया था। उन्होंने विधानसभा चुनाव में बसपा की हार पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था कि यह भाजपा की मिलीभगत से हुआ है। इसी वजह से सपा अंबेडरकवादियों के साथ गठबंधन कर रही है और बसपा से नहीं।
बता दें कि बसपा को अक्सर विरोधी दल द्वारा “बीजेपी की बी-टीम” कहते हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की टिप्पणी के बाद इसे लेकर विपक्षी पार्टियां और अक्रामक हो गईं। शाह ने कहा था, “बसपा ने अपनी प्रासंगिकता बनाए रखी है। मुझे विश्वास है कि उन्हें वोट मिलेगा। मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगी, लेकिन इसे वोट मिलेगा। मायावती ने बाद में शाह की सराहना की थी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता की टिप्पणी को लेकर दोनों दलों के बीच चुनाव के बाद गठबंधन की संभावना पर भी अटकलें लगाई थीं। 1995, 1997 और 2002 में मायावती ने भाजपा के समर्थन से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, विधानसभा चुनाव 2022 में जहां भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में लौटी, वहीं बसपा का प्रदर्शन काफी शर्मनाक रहा। पार्टी सिर्फ एक सीट पर चुनाव जीत सकी।