इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने यूपी के बदायूं जिले के जिलाधिकारी को निर्देश दिया है कि वह वैक्सीन लगवाने से कथित तौर पर आंख की नजर खोने वाले व्यक्ति के मामले में उचित निर्णय लें। इस मामले में पीड़ित की ओर से सरकार से भी पहले गुहार लगाई गई थी। पीड़ित पक्ष का कहना है कि उसे उचित मुआवजा मिलना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले की पूरी जांच की जाए। यदि इसमें सरकार की लापरवाही मिली तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मामले पर कोर्ट ने कोई भी फैसला सुनाने से इंकार करते हुए जिलाधिकारी को निर्देश दिया की पीड़ित के मामले का कानूनी और विधिसम्मत ढंग से निपटारा करें। कोर्ट ने पीड़ित से भी कहा है कि वह समुचित कागजात और दस्तावेजों के साथ जिलाधिकारी से मिले। न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने अब जिला मजिस्ट्रेट से एक सप्ताह के भीतर मामले में फैसला लेने को कहा है। याचिकाकर्ता ने सभी चिकित्सा रिपोर्ट के साथ नए सिरे से आवेदन पेश किया है। याचिका प्रभा मिश्रा ने दायर की, जिन्होंने अदालत को बताया कि उनके पति COVID-19 वैक्सीन लेने के बाद नेत्रहीन हो गए हैं।
अपने निर्देश में कोर्ट ने कहा, “मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, मुद्दे के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त किए बिना और सहमति के साथ रिट याचिका का निपटारा इस अवलोकन के साथ किया जाता है कि यदि याचिकाकर्ता जिलाधिकारी को सभी प्रासंगिक चिकित्सा रिपोर्टों के साथ नया आवेदन करता है तो जिला मजिस्ट्रेट बदायूं एक सप्ताह के भीतर कानून के अनुसार जल्द से जल्द इसका फैसला करें।”
याचिकाकर्ता प्रभा मिश्रा ने अपनी याचिका में अदालत से राज्य के अधिकारियों को उसके पति को मुआवजे का भुगतान करने और 19 अप्रैल को भेजे गए एक अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया था। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता शाहनवाज अख्तर पेश हुए और अतिरिक्त मुख्य स्थायी वकील संजय कुमार सिंह ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। मामले पर अब कोई भी निर्णय जिलाधिकारी बदायूं को लेना है।