Lok Sabha Chunav: उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के गठबंधन को लेकर रस्साकशी की खबरें आ रही हैं। इसी बीच कहा यह भी जा रहा है कि जयंत चौधरी भाजपा के साथ जा सकते हैं, अगर ऐसा हुआ तो यह सपा प्रमुख अखिलेश यादव के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं होगा, लेकिन अब भाजपा का हाथ थाम चुके सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर से जब जयंत चौधरी को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि धैर्य रखिए, सब ठीक होगा।

सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने इशारों-इशारों में कहा कि अभी तो यह शुरुआत है, अभी तो बहुत लोग बहुत लोग आएंगे। राजभर ने कहा कि जितने भी लोग 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव के साथ गए थे, वो सभी वहां ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। फिर धर्म सिंह सैनी हों या फिर अन्य नेता।

राजभर से जब पूछा गया कि बीजेपी छोड़कर जब आप अखिलेश यादव के साथ गए तब आपको पछतावा हुआ? इसलिए आप फिर से एनडीए का हिस्सा बने। इस सवाल के जवाब में राजभर ने कहा कि हमको पछतावा तब होता, जब हमको कोई लालच होता। हम रिजाइन देकर गए थे।

बेंगलुरू में होने वाली विपक्ष की बैठक पर राष्ट्रीय लोक दल (RLD) के प्रमुख जयंत चौधरी ने सोमवार को बड़ा बयान दिया। चौधरी ने कहा कि बेंगलुरु दिल्ली से थोड़ा दूर है, लेकिन हम सभी को दिल्ली वापस आने का रास्ता तलाशना होगा। पूरे विपक्ष को एक साथ काम करने और आम लोगों के लिए दिल्ली का रास्ता बनाने की जरूरत है।

जयंत चौधरी ने इस दौरान केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि देश के नागरिकों को जरूरी सेवाएं देने के लिए मोदी सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। हमें उन लोगों तक पहुंचने की जरूरत है। हम साथ मिलकर एक नई राह बनाएंगे। आरएलडी चीफ ने कहा कि इसको लेकर मैं बहुत आशावान और सकारात्मक हूं।

आरएलडी चीफ ने 23 जून को पटना में हुई विपक्ष की बैठक का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष की पिछली बैठक में शामिल नहीं हो पाया था। इसलिए, इस स्तर पर यह मेरी पहली बातचीत है और मैं सुनूंगा कि अन्य नेता क्या कहते हैं। उन्होंने कहा कि समान विचारधारा वाले दल और नेताओं के लिए दरवाजे खुले हैं।

2 जुलाई को यूपी दौरे पर आए केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने मीडियाकर्मियों बात की थी। इस दौरान उन्होंने कहा कि जयंत चौधरी आने वाले दिनों में एनडीए में शामिल होंगे। चौधरी पटना में विपक्षी दलों की बैठक में शामिल नहीं हुए थे। क्योंकि वो समाजवादी पार्टी अखिलेश यादव से नाखुश हैं और हमारे साथ आ सकते हैं। पिछले कुछ समय से जयंत चौधरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश के बीच बढ़ती अनबन की चर्चा चल रही है। आरएलडी और एसपी 2019 के लोकसभा चुनावों से सहयोगी रहे हैं। दोनों ने पिछले साल का विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था। जहां दोनों युवा नेताओं ने एक अलग छवि पेश की थी।

बता दें, मई में उत्तर प्रदेश में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान दोनों नेताओं के मतभेद सामने आए, जब दोनों पार्टियों ने कई सीटों पर एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे। आरएलडी इस बात से नाराज थी कि उसे मेयर की कोई भी सीट चुनाव लड़ने के लिए नहीं दी गई। खासकर मेरठ सीट, जहां सपा ने जाहिर तौर पर अपने सहयोगी रालोद से बात किए बिना एक उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया था। रालोद ने इसे सपा को उस मंशा के रूप में देखा कि सपा प्रमुख यूपी में खुद को विपक्षी दल का नेता मानते हैं।