OBC Reservation: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण (OBC Reservation) के मुद्दे पर राजनीति जोरों पर है। इस मुद्दे को लेकर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) पूरी तरह से राज्य सरकार के खिलाफ आक्रामक है और इस मामले को लेकर सड़क से लेकर सुप्रीम तक लड़ाई छेड़ रखी है। बुधवार (4 जनवरी, 2022) को सपा ने सुप्रीम कोर्ट का भी दरवाजा खटखटाया है। समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने याचिका दायर कर मांग की है कि बिना आरक्षण के किसी भी कीमत पर निकाय चुनाव न कराए जाएं।

इस मामले पर पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे सपा पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ अध्यक्ष डॉ. राजपाल कश्यप (Rajpal Kashyap) ने कहा कि समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव के निर्देश पर हमने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की है। जिसमें मांग की गई है कि संविधान में दिए गए अधिकारों का किसी भी कीमत पर हनन नहीं होना चाहिए। संविधान का हवाला देते हुए अपील की गई है कि ओबीसी आरक्षण का पालन किए बिना किसी भी सूरत में निकाय चुनाव न कराया जाए, क्योंकि इससे पिछड़े वर्ग के लोगों के हितों की अनदेखी होगी। इस तरह से आरक्षण को बचाने के लिए समाजवादी पार्टी कानूनी लड़ाई लड़ेगी।

राजपाल कश्यप ने कहा कि हाई कोर्ट का फैसला ओबीसी आरक्षण के खिलाफ था, क्योंकि भाजपा आरक्षण के खिलाफ है। भाजपा ने इस मुद्दे पर सही से पैरवी नहीं की। सपा नेता ने कहा कि हमने इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सपा अखिलेश यादव की देखरेख में ओबीसी आरक्षण के लिए लड़ेगी।

कोर्ट ने राज्य सरकार के आदेश को रद्द कर दिया था

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 27 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार के 5 दिसंबर के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें निकाय चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण का प्रस्ताव दिया गया था। इसने राज्य चुनाव आयोग को ओबीसी कोटा के बिना शहरी स्थानीय निकायों के चुनावों को तत्काल अधिसूचित करने का आदेश दिया।

अखिलेश यादव आरक्षण को लेकर भाजपा पर लगा चुके आरोप

बता दें, समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव साफ तौर पर कह चुके हैं कि भाजपा ने अभी तो पिछड़े वर्ग के आरक्षण का हक छीना है और बाबा साहब डॉ. आंबेडकर के द्वारा दिए गए दलितों के आरक्षण को भी छीन लेगी। उन्होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी सरकार बाबा साहब के दिए संविधान को भी खत्म करने की साजिश कर रही है।