उत्तर प्रदेश से राज्यसभा चुनाव से पहले बसपा विधायकों ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर दी। हालांकि, इनके बगावत का कोई असर राज्यसभा चुनाव पर नहीं पड़ेगा। राज्यसभा के लिए 10 सीटों पर होने जा रहे चुनाव में बसपा प्रत्याशी का नामांकन बुधवार को जांच में वैध पाया गया।
जबकि सपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार का पर्चा खारिज हो गया। राज्यसभा चुनाव के निर्वाचन अधिकारी कार्यालय से मिली आधिकारिक जानकारी के मुताबिक नामांकन पत्रों की जांच में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी रामजी लाल गौतम का पर्चा वैध पाया गया। वहीं, समाजवादी पार्टी (सपा) समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश बजाज का नामांकन अवैध पाये जाने के कारण खारिज कर दिया गया। सूत्रों के मुताबिक अब 10 सीटों पर 10 उम्मीदवार ही चुनाव मैदान में रह गये हैं।
ऐसे में उन सभी के निर्विरोध निर्वाचित होने की सम्भावना बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि यह चुनाव नौ नवंबर को होने का कार्यक्रम है। बजाज के एक करीबी सहयोगी ने बताया कि वह (बजाज) अपना नामांकन रद्द किये जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं। गौरतलब है कि गौतम के नामांकन में प्रस्तावक रहे चार बसपा विधायकों, असलम राइनी, असलम चौधरी, मुज्तबा सिद्दीकी और हाकिम लाल बिंद ने बुधवार को ही निर्वाचन अधिकारी शपथपत्र सौंपा।
इसमें कहा गया था कि राज्यसभा चुनाव के लिये बसपा प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर प्रस्तावक के तौर पर किये गये उनके हस्ताक्षर फर्जी हैं। उस वक्त ऐसी अटकलें लगायी जा रही थी कि बसपा प्रत्याशी गौतम का पर्चा खारिज हो सकता है। हालांकि, विधानसभा में बसपा के नेता लालजी वर्मा ने फर्जी हस्ताक्षर के आरोपों को गलत बताते हुए कहा ”हमने तीन सेट नामांकन दाखिल किये थे। उनमें से दो पर आपत्ति हुई है। हमारा एक नामांकन पत्र वैध है।
उन्होंने कहा कि जहां तक हस्ताक्षर का सवाल है तो सभी (हस्ताक्षर) असली हैं। नामांकन के समय के फोटोग्राफ भी मौजूद हैं, इसलिये इस बारे में कोई सवाल ही नहीं उठता है कि ये विधायक नामांकन के वक्त मौजूद नहीं थे।” इससे पहले पीठासीन अधिकारी को शपथपत्र देने के बाद सभी छह बागी बसपा विधायकों ने सपा राज्य मुख्यालय पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की।
सपा के एक वरिष्ठ नेता ने दावा किया कि बसपा के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के भी अनेक विधायक सपा के सम्पर्क में हैं। वे किसी भी वक्त पार्टी में शामिल हो सकते हैं।’