UP Nikai Chunav OBC Reservation: उत्तर प्रदेश (UP) निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण मामले में योगी सरकार (Yogi Adityanath government) को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार (4 जनवरी, 2023) को इस मामले हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है। वहीं कोर्ट ने इस मामले में दूसरे पक्षों को भी नोटिस दिया है और तीन हफ्तों के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है। बता दें, हाई कोर्ट ने पिछले साल 27 दिसंबर को राज्य सरकार द्वारा जारी की गई ओबीसी अधिसूचना को खारिज कर दिया था।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा की खंडपीठ ने राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को स्थानीय निकायों में कोटा देने के लिए ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन पर 31 मार्च तक एक रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि ओबीसी आयोग का गठन हो चुका है और वह मार्च तक अपना काम पूरा कर लेगा।

पिछले साल 27 दिसंबर को उच्च न्यायालय ने शहरी निकायों के चुनावों में ओबीसी के लिए आरक्षण पर रोक लगा दी थी। साथ ही आरक्षण के लिए अधिसूचना के मसौदे को रद्द कर दिया था। पीठ ने चुनाव आयोग को चुनाव के लिए तुरंत अधिसूचना जारी करने का भी आदेश दिया था। यह आदेश 17 नगर निगमों के महापौरों, 200 नगर परिषदों के अध्यक्षों और 545 नगर पंचायतों के अध्यक्षों के लिए आरक्षित सीटों की अंतिम सूची जारी करने के राज्य सरकार के कदम पर आपत्ति जताने वाली एक याचिका के बाद आया।

यूपी में बीजेपी के लिए ओबीसी वोट बैंक काफी अहम

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की थी कि राज्य स्थानीय निकायों में ओबीसी को आरक्षण देगा और सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के तहत एक सर्वे करेगा। उन्होंने कहा था कि आरक्षण के प्रावधान के बिना चुनाव नहीं होगा और अगर जरूरत पड़ी तो राज्य उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगी। बता दें, उत्तर प्रदेश में बीजेपी के लिए ओबीसी का वोट बैंक काफी मायने रखता है।

2021 में सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल टेस्ट का दिया था निर्देश

याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया था कि राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फॉर्मूले का पालन करना चाहिए और आरक्षण तय करने से पहले ओबीसी के राजनीतिक पिछड़ेपन का अध्ययन करने के लिए एक आयोग का गठन करना चाहिए। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि राज्य राजनीतिक कोटा के प्रतिशत पर निर्णय लेने से पहले ओबीसी पर डेटा एकत्रित करने के लिए ट्रिपल टेस्ट सर्वे करें। शीर्ष अदालत ने कहा था कि सामाजिक और आर्थिक पिछड़ापन जरूरी नहीं कि राजनीतिक पिछड़ेपन के साथ मेल खाता हो।