उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) विरोधी सभी प्रदर्शनकारियों के खिलाफ जारी शो-कॉज नोटिस वापस ले लिए हैं। यह जानकारी यूपी सरकार ने शुक्रवार (18 फरवरी, 2022) को सुप्रीम कोर्ट में दी।
उप्र सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उसने सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ लिए गए हर ऐक्शन और भरपाई के लिए जारी नोटिस वापस ले लिए हैं।
सरकार के मुताबिक, “संपत्ति नष्ट करने के लिए, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ भरपाई के 274 नोटिस को 13 और 14 फरवरी को वापस ले लिया गया। रोचक बात है कि ये नोटिस यूपी में चुनावी मौसम के बीच वापस लिए गए हैं।
यही नहीं, यूपी सरकार ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को रिकवरी नोटिस दिए थे, जिस पर कोर्ट ने सरकार को अब तक की गई किसी भी वसूली को वापस करने का निर्देश दिया है।
इससे पहले, 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर यूपी सरकार की खिंचाई की थी। कहा था कि नोटिस अदालत की ओर से निर्धारित दिशानिर्देशों के उल्लंघन में थे।
कोर्ट का संदर्भ उसके साल 2009 के फैसले के लिए था कि कमिश्नर जो ऐसे मामलों में नुकसान का अनुमान लगाएगा और दायित्व की जांच करेगा, वह एक जज होगा। टॉप कोर्ट ने साल 2018 में एक फैसले में इसे दोहराया था।
बेंच ने कहा था, “हम इन नोटिसों को रद्द कर देंगे और फिर आप नए अधिनियम के अनुसार कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र हैं। जो कार्यवाही पेडिंग है, वह नए कानून के तहत होगी। आप हमें अगले शुक्रवार को बताएं कि आप क्या करना चाहते हैं और हम इस मामले को आदेश के लिए बंद कर देंगे।”
पिछले महीने, हमारे सहयोगी अखबार “दि इंडियन एक्सप्रेस” ने दो-हिस्सों की जांच में ऐडिश्नल जिला मजिस्ट्रेट (लखनऊ पूर्व) की ओर से जारी 46 ऐसे वसूली आदेशों का विश्लेषण किया था।
जांच के मुताबिक, कानपुर में 15 ऐसे परिवार पाए गए जिनमें से अधिकतर तांगा चालक से लेकर दूधवाले जैसे रोज कमाने-खाने वाले लोग। इन्होंने विरोध प्रदर्शन में अपनी कथित भूमिका के लिए जिला प्रशासन को 13,476 रुपए (हर किसी ने इतनी ही रकम) चुकाए। पर किसी को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उनके हिस्से का भुगतान वाली रकम कैसे आई।
यही नहीं, पूर्व आईपीएस अधिकारी एस आर दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जाफर भी एडीएम (लखनऊ पूर्व) से वसूली के आदेश पाने वालों में से थे। इन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया। वे दोनों उन 46 लोगों में से थे, जिन्हें समान राशि के साथ वसूली (64.37 लाख रुपये) के आदेश जारी किए गए थे।
