आज के दौर में जब करोड़ों लोग नौकरी की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में कोई भी आदमी एक साथ 6-6 नौकरी कर रहा हो, तो सोचिए फर्जीवाड़ा का कितना बड़ा खेल चल रहा है। ये कहानी सुनने में जरूर आश्चर्यजनक और फिल्मी लग रहा हो, लेकिन ये सच्ची घटना है। फर्जीवाड़ा के तहत ही एक शख्स एक साथ 6 नौकरियों के जरिए कुल 3 करोड़ से ज्यादा सैलरी ले चुका है। ये वाक्या किसी और राज्य का नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश का है। जहां इस घटना के सामने आने से पहले किसी को कानों कान खबर नहीं हुई थी कि सरकार के नाक के नीचे इतना बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा था। आइए पूरी कहानी आपको बताते हैं।

उत्तर प्रदेश में साल 2016 में अखिलेश यादव की सरकार थी। प्रदेश में 403 एक्स-रे टेक्नीशियन की भर्ती हुई। जिस दौरान अर्पित सिंह नाम का एक शख्स भी भर्ती हुआ। सबसे हैरान करने वाली बात ये रही कि वो एक साथ 6 जिलों में एक साथ काम करता रहा। आगरा के रहने वाले अर्पित के पिता का नाम अनिल सिंह है। हर जगहों पर उसकी जन्म तिथि भी एक ही है लेकिन उसने आधार कार्ड अलग-अलग कर दिया।

9 सालों में 3 करोड़ का लगा चुका है सरकारी फ्रॉड

अर्पित सिंह की पहली तैनाती हाथरस के मुरसान सीएचसी पर थी। तो वहीं दूसरी तैनाती बलरामपुर के तुलसीपुर सीएचसी पर थी। रामपुर में बिलासपुर सीएचसी से लेकर क्षय रोग कार्यालय में तीसरी तैनाती रही। जबकि चौथी तैनाती बांदा के नरैनी सीएचसी पर रही। इसके अलावा शामली और अमरोहा में एक्स-रे-टेक्नीशियन पर तैनाती रही। इस शख्स को लेकर सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि सभी 6 जिलों में उसका नाम, उसके पिता का नाम, जन्म तिथि एक ही दर्ज है। लेकिन फर्जी आधार कार्ड के जरिए वो इस जालसाजी को अंजाम दे रहा था।

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अर्पित नाम के इस शख्स की तनख्वाह की बात करें तो एक्स-रे टेक्नीशियन की सैलरी करीब 50 हजार रुपये प्रति महीने होती है। इस हिसाब से एक साल में करीब 6 लाख रुपये होते हैं। ऐसे में वो पिछले 9 सालों से ये काम कर रहा था तो 9 सालों में वो एक जगह से 54 लाख रुपये सैलरी के तौर पर ले चुका है। इसी आधार पर सभी 6 स्थानों की सैलरी की बात करें तो इस शख्स ने करीब 3 करोड़ 24 लाख रुपये सरकारी खजाने से अपने पैकेट में पहुंचाने का काम किया।

मामला का खुलासा होते ही डीजी हेल्थ रतन पास सुमन ने इस पूरे घटना को लेकर विशेष कमेटी बना दी है। ये जांच पैरामेडिकल डॉ. रंजना खरे की अगुवाई में जांच शुरू हुई है। हालांकि गौर करने वाली बात ये है कि ये कहानी सिर्फ अर्पित की नहीं है। जांच में कई और नाम सामने आने की संभावना है। जांच में मैनपुरी के रहने वाले अंकुर का नाम मानव संपदा पोर्टल में दो जगहों पर दिखा रहा है। पहला नाम मुजफ्फरनगर की शाहपुर सीएचसी और दूसरा नाम मैनपुरी सीएचसी में दर्ज है। ठीक इसी प्रकार हरदोई निवाई अंकित सिंह नाम के शख्स का नाम ललितपुर, लखीमपुर, गोंड़ा, बदायूं और हरदोई में एक्स-रे टेक्नीशियन के तौर पर काम कर रहा है। जानकारी के अनुसार इन सभी पर भी जल्द ही एफआईआर दर्ज की जा सकती है।