उत्तर प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष का चुनाव मार्च के अंत या अप्रैल की शुरूआत में होने की संभावना है। हालांकि ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस पद के लिए चुनाव मार्च के अंत तक हो सकते हैं, लेकिन नेताओं ने कहा कि इसे अप्रैल तक भी टाला जा सकता है, क्योंकि राज्य परिषद के सदस्यों की घोषणा अभी तक नहीं हुई है। कई लोग इस बात पर सहमत थे कि जातिगत गतिशीलता से अत्यधिक प्रभावित राज्य में, नए राज्य इकाई प्रमुख किस समुदाय से आते हैं, इस पर ध्यान केंद्रित होने की संभावना है।
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) को बढ़ावा दिए जाने के बाद, भाजपा कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विश्लेषकों का एक वर्ग महसूस करता है कि भगवा पार्टी अपने नए उत्तर प्रदेश प्रमुख के रूप में पिछड़े समुदायों के किसी नेता को प्राथमिकता दे सकती है। राजनीतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि भाजपा इस पद के लिए अन्य पिछड़ा वर्ग की किसी प्रमुख जाति पर विचार कर सकती है।
कल्याण सिंह के समाज से मिल सकता है अध्यक्ष
पार्टी के एक पुराने कार्यकर्ता ने कहा, इस बात की प्रबल संभावना है कि पार्टी लोध जाति से किसी नेता को प्राथमिकता दे सकती है। वरिष्ठ भाजपा नेता और पार्टी के सबसे बड़े ओबीसी चेहरे, दिवंगत कल्याण सिंह, लोध समुदाय से आते थे और इसलिए, अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी अगले नेता को उसी ओबीसी उपजाति से चुन सकती है। भाजपा के एक सदस्य ने बताया, दो नाम प्रमुखता से चर्चा में हैं। इनमें उत्तर प्रदेश के मंत्री धर्मपाल सिंह और केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा शामिल हैं। हालांकि, पार्टी नेता मानते हैं कि नाम चुनना कठिन है। एक नेता ने कहा, कुछ संभावनाएं हैं, लेकिन कोई निश्चितता नहीं है, उन्होंने आगे कहा, लेकिन यह सुरक्षित रूप से कहा जा सकता है कि जाति निश्चित रूप से इस पद के लिए एक प्रमुख निर्धारक होगी। उत्तर प्रदेश में 70 जिला अध्यक्षों के चुनाव में जाति का पहलू स्पष्ट रूप से दिखाई दिया। इनमें से 39 जिला अध्यक्ष उच्च जातियों से हैं, जिनमें 20 ब्राह्मण शामिल हैं।
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तो क्या पार्टी इस पद के लिए किसी ब्राह्मण को चुन सकती है? भाजपा के एक नेता ने कहा, नहीं कह सकते, लेकिन अगर किसी ब्राह्मण को इस पद के लिए चुना जाता है, तो इस बात की संभावना अधिक है कि भाजपा के प्रदेश महासचिव और विधान परिषद सदस्य गोविंद नारायण शुक्ला या बस्ती के पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के नाम पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हालांकि कई अन्य ब्राह्मण दावेदार भी कतार में हैं। पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर, जो पार्टी में राज्य महासचिव सहित कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, पार्टी नेतृत्व द्वारा दलित उम्मीदवार तय किए जाने की स्थिति में मजबूत दावेदार हैं।
महेंद्र नाथ पांडेय हैं चुनाव अधिकारी
उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई के एक वरिष्ठ सदस्य ने को बताया कि प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव शुरू करने के लिए कम से कम 50 फीसद संगठनात्मक जिलों में जिला अध्यक्षों का चुनाव और राज्य परिषद सदस्यों की घोषणा पूरी होनी चाहिए। यूपी भाजपा के संगठनात्मक चुनाव के लिए नेतृत्व ने पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व केंद्रीय मंत्री महेंद्रनाथ पांडेय को केंद्रीय चुनाव अधिकारी नियुक्त किया है। प्रदेश में 98 संगठनात्मक जिले हैं, जिनमें से पांडेय ने 70 जिलों में अध्यक्षों का चुनाव पूरा कर लिया है। 28 जिलों में घोषणा बाकी है।
भाजपा सदस्य ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्य परिषद के सदस्य ही मतदान करते हैं। राज्य परिषद के सदस्य प्रस्तावक और समर्थक की भूमिका भी निभाते हैं, इसलिए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए उनका चयन जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य परिषद के सदस्यों का चयन सभी जिलों से विधानसभावार किया जाता है। यहां 403 विधानसभा क्षेत्र हैं, इसलिए राज्य परिषद के 403 सदस्यों का चयन पूरा किया जाना है।
वर्तमान अध्यक्ष जाट समाज से
भाजपा सूत्रों ने बताया कि भाजपा संगठन संसद के दोनों सदनों (राज्यसभा और लोकसभा) तथा विधानसभा (विधान परिषद और विधानसभा) से राज्य परिषद के कुछ सदस्यों का चयन भी करता है, जिसकी प्रक्रिया भी पूरी होनी है। यूपी भाजपा प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने पीटीआई को बताया कि राज्य में 70 जिला इकाइयों के अध्यक्षों की घोषणा कर दी गई है और शेष 28 जिला इकाइयों के लिए मनोनयन प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिसकी घोषणा जल्द ही पांडेय करेंगे। प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की देखरेख में होगा।
जब अगस्त 2022 में वर्तमान यूपी भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, जो एक ओबीसी (जाट) हैं, को इस पद पर नामित किया गया, तो इस निर्णय को पश्चिमी यूपी में जाति समीकरण को ठीक करने की पहल के रूप में देखा गया। चौधरी के अध्यक्ष बनने के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े जाट नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का घटक बन गई और दो सीटें जीतीं। जयंत चौधरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री भी हैं।