दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने उच्च शिक्षा में शिक्षकों की सेवा शर्तों संबंधी यूजीसी (विश्वविद्यालय अनुदान आयोग) की नई अधिसूचना के खिलाफ सोमवार को मंडी हाउस से संसद मार्ग तक विरोध मार्च निकाला। उन्होंने गजट अधिसूचना वापस नहीं लिए जाने पर बेमियादी हड़ताल, नए दाखिलों का बहिष्कार और विश्वविद्यालय के संचालन को ठप करने की चेतावनी भी दी।
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के बैनर तले बड़ी तादाद में शिक्षकों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और यूजीसी के खिलाफ नारेबाजी की जिसमें कुछ शिक्षकों के परिवार और छात्र संघ के लोग भी शामिल रहे। डूटा की तरफ से एमएचआरडी को एक ज्ञापन भी सौंपा गया। डूटा की आम सभा में 28 मई को लिए गए निर्णय के अनुसार सोमवार को बड़ी संख्या में शिक्षक सड़क पर उतरे और संसद तक निकाले गए विरोध मार्च में हिस्सा लिया। मार्च को संबोधित करते हुए डूटा अध्यक्ष नंदिता नारायण ने कहा, ‘यह लड़ाई लंबी चलेगी, अगर यूजीसी ने अपनी अधिसूचना वापस नहीं ली तो विश्वविद्यालय को ठप कर देंगे।’
फिलहाल डूटा का 2 तारीख तक कापियां न जांचने का फैसला कायम है और सोमवार को चेतावनी दी गई कि अगर मंत्रालय ने चुप्पी साधे रखी तो दाखिले का भी बहिष्कार किया जाएगा। डूटा अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि यह सरकार अमीर वर्ग की है जो जातिगत भेदभाव बरतती है और शिक्षा को खत्म करना चाहती है क्योंकि शिक्षा से लोकतंत्र सुदृढ़ होता है और लोग सशक्त होते हैं। एक जून को डूटा की विस्तारित कार्यकारी समिति की बैठक है जिसमें आंदोलन को मजबूत करने के बारे में फैसला लिया जाएगा और 2 जून को आम सभा की बैठक में समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई का खाका तैयार किया जाएगा।
डूटा अध्यक्ष ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के साथ मंगलवार को बातचीत होगी, उन्हें इस संबंध में पत्र लिखा गया है। नारायण ने दावा किया कि जेएनयू छात्र संघ, केवाईएस, आइसा, एसएफआइ और एनएसयूआइ ने प्रस्ताव पारित कर उनके आंदोलन का समर्थन किया है।
विरोध के बीच एमएचआरडी की ओर से 26 मई को यूजीसी को जारी निर्देश पर रामजस कॉलेज के शिक्षक अनुपम ने कहा, ‘यह केवल मुद्दे को भटकाने की कोशिश है, इस निर्देश का कोई अर्थ नहीं क्योंकि गजट में कोई संशोधन नहीं किया गया है।’ वहीं डीयू के प्रोफेसर डॉ नागेंद्र शर्मा का कहना है कि इस विरोध को देशव्यापी समर्थन मिल रहा है क्योंकि इससे लाखों शिक्षकों की नौकरी खत्म होने वाली है, अकेले डीयू में 5000 शिक्षकों पर इसका असर होगा।
डूटा आम सभा ने शनिवार की बैठक में चार मांगें सामने रखी थीं जिसमें यूजीसी गजट अधिसूचना में तत्काल संशोधन और वर्तमान एपीआइ सिस्टम को पूरी तरह खारिज करना शामिल है। इसके अतिरिक्त उच्च शिक्षा पर आबंटन को बढ़ाने, ओबीसी विस्तारण के अंतर्गत शिक्षकों की बहाली, स्थायी नियुक्तियां और 2009 से पहले पंजीकृत पीएचडी डिग्रीधारियों के लिए नेट में एक बार छूट देने की मांगें शामिल हैं।