ओमप्रकाश ठाकुर

हिमाचल प्रदेश में हुए तीन विधानसभा हलकों और एक संसदीय हलके में मिली जीत से प्रदेश की बिना एक छत्र नेता की कांग्रेस गदगद है। कांग्रेस ने 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद तीन विधानसभा हलकों अर्की, जुब्बल-कोटखाई, फतेहपुर और मंडी संसदीय हलके में जीत हासिल कर गजब की वापसी की है।

सभी मान रहे हैं कि इन चारों सीटों को जीत कर कांग्रेस पार्टी ने सेमीफाइनल जीत लिया है और फाइनल भी ज्यादा मुश्किल नहीं बशर्तें पार्टी में मुख्यमंत्री कौन होगा, इसे लेकर कहीं पहले ही घमासान न हो जाए। इन उपचुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री के पद के तलबगारों की महत्त्वाकांक्षाएं अत्यधिक बढ़ गईं हैं। यही महत्त्वाकांक्षाएं अगर एक दूसरे को ठिकाने लगाने पर आ गईं तो कांग्रेस के लिए राह आसान नहीं होगी।

मंडी संसदीय हलके को इन उपचुनावों में जिताने में मंडी कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेता कौल सिंह ठाकुर ने अहम भूमिका निभाई है। कांग्रेस ने मंडी में ही नहीं, कुल्लू में भी भाजपा के आक्रामक प्रचार के रथ को रोक दिया था और भाजपा के भीतर चल रहे शीतयुद्ध का पूरा फायदा उठाया। जिला मंडी में दस विधानसभा, जबकि जिला कुल्लू में चार हलके हैं।

इस तरह इन दो जिलों में ही 14 हलके हो गए हैं। कौल सिंह ठाकुर अगर इन सभी सीटों पर 2022 के चुनावों में कोई चमत्कार करा दें तो कांग्रेस पार्टी में उनकी मुख्यमंत्री पद की दावेदारी मजबूत हो जाएगी। लेकिन कौल सिंह जी-23 नेताओं के समर्थकों में शुमार रह चुके हंै। उधर, हमीरपुर जिले से कांग्रेस केपूर्व अध्यक्ष सुखविंदर सिंह ठाकुर मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर जुगत भिड़ा रहे हंै। सुखविंदर सिंह सुक्खू पूर्व मंत्री सुखराम के शिष्यों में से एक हैं। इन उपचुनावों में जुब्बल कोटखाई से जीते रोहित ठाकुर और अर्की विधानसभा हलके से जीते संजय अवस्थी उन्हीं के खेमे के हैं।

उधर, सबसे बड़े जिले कांगड़ा में विधानसभा की 15 सीटें है। यहां से पूर्व मंत्री जीएस बाली 2022 के लिए मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे। लेकिन उनके निधन के बाद अब पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा अपनी दावेदारी को लेकर मजबूती के साथ खड़े हंै। सुधीर शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खेमे के नेता हैं। वे मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर को अध्यक्ष पद से हटाने के लिए मुकेश अग्निहोत्री और आशा कुमारी के साथ जुगलबंदी कर चुके हैं और इस मुहिम में ये तमाम नेता विफल रहे।

ऐसे में कांग्रेस पार्टी में मुख्यमंत्री पद के इतने सारे तलबगार होने के बाद अब आशंकाएं जताई जा रही हैं कि 2022 के चुनावों से पहले बड़ा घमासान होने वाला है। भाजपा के पक्ष में बस यही एक बात जाएगी कि एक कांग्रेस में अंदरूनी घमासान हुआ तो फायदा उसको जरूर होगा। ऐसे में कांग्रेस आलाकमान पूरी ताकत लगाए हुए है कि पार्टी के भीतर कोई बड़ा विद्रोह न हो।

उधर, पार्टी के सह प्रभारी संजय दत कहते हैं कि कांग्रेस की ओर से 2022 में मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा इस बाबत फैसला आलाकमान को करना है। वे तो बस अपनी भूमिका निभा रहे है। संभवत: यह सही भी हो लेकिन उपचुनावों में कांग्रेस की जीत में उनकी भूमिका सबसे ज्यादा रही है। अब फाइनल 2022 में होना है और कांग्रेस में घमासान की आशंकाएं प्रबल होती जा रही है।

वीरभद्र सिंह के कद का कोई नेता नहीं

कांग्रेस पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बाद उनकी तरह अब कोई एकछत्र नेता नहीं बचा है। ऐसे में उनके कुनबे से नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ऊना से, आशा कुमारी चंबा से और रामलाल ठाकुर जिला बिलासपुर से मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। रामलाल ठाकुर पहले वीरभद्र सिंह के वफादार थे लेकिन पिछली कांग्रेस सरकार में बंबर ठाकुर को वीरभद्र सिंह से खूब तरजीह मिली और उन्हें रामलाल के समांतर खड़ा करने की कोशिश की गई। इससे रामलाल ठाकुर वीरभद्र सिंह खेमे से छिटक गए थे। ये तीनों ही नेता अपने-अपने हलकों के अलावा कहीं ज्यादा कोई जनाधार नहीं रखते। इसके अलावा इनके अपने जिलों में विधानसभा की पांच-पांच सीटें है।