महाराष्ट्र में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए तीन पार्टियों के साथ के बाद बने महाविकास अघाड़ी गठबंधन में अब दरारें दिखनी शुरू हो गई हैं। ताजा विवाद औरंगाबाद शहर के नाम बदलने को लेकर उठा है। जहां कांग्रेस ने शनिवार को औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर अपना रुख एक बार फिर दोहाराया, तो वहीं उसके सहयोगी दल शिवसेना ने कहा कि नाम जल्द ही बदला जाएगा, लेकिन इससे महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार पर असर नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने दो दिन पहले कहा था कि वह मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर रखने का पुरजोर विरोध करेंगे। थोराट ने इसे दोहराते हुए कहा है कि कांग्रेस छत्रपति शिवाजी महाराज और छत्रपति संभाजी महाराज के प्रति श्रद्धा रखती है और इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए, लेकिन शहर का नया नाम रखे जाने के मुद्दे का उपयोग नफरत फैलाने और समाज में विभाजन के लिए नहीं किया जाना चाहिए।
कांग्रेस बोली- शहर का नाम बदलना कभी नहीं थी महाविकास अघाड़ी की प्राथमिकता: इस बीच, थोराट के इस बयान के बाद औरंगाबाद में मराठा क्रांति मोर्चा ने उनका पुतला जलाया। हालांकि, कांग्रेस अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं है। पार्टी नेता संजय निरुपम ने कहा कि नाम बदलना शिवसेना का पुराना एजेंडा है, लेकिन यह तीन पार्टियों की सरकार है। हम न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आए हैं और नाम बदलना उसका हिस्सा नहीं है। सरकार सिर्फ निजी एजेंडे को लेकर काम नहीं कर सकती।
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता एवं राज्य में मंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि शहर का नाम बदलना महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार की प्राथमिकता नहीं थी। चव्हाण ने कहा, ” यह तीन दलों की गठबंधन सरकार है और प्रत्येक दल का अपना अलग नजरिया है इसलिए हम सभी एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर साथ आए थे। नाम बदलना प्राथमिकता नहीं है।” इससे पहले दिन में शिवसेना नेता संजय राउत ने भरोसा जताया कि गठबंधन सहयोगियों के साथ वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे का हल निकाल लिया जाएगा।
थोराट ने किया विरोध, तो सामना में कांग्रेस पर साधा गया निशाना: हाल ही में औरंगाबाद के दौरे पर थोराट ने कहा था कि शहर का नाम बदले जाने के किसी भी कदम का कांग्रेस विरोध करेगी। इसके बाद शिवसेना ने शनिवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि कांग्रेस ने औरंगाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव का विरोध किया, जिससे (विपक्षी) भाजपा खुश हो गई।
संपादकीय में कहा गया, ”कांग्रेस का प्रस्ताव का विरोध करना कोई नई बात नहीं है, लिहाजा इसे महा विकास अघाड़ी सरकार (एमवीए) से जोड़ना मूर्खता है।” संपादकीय में लिखा है, ”थोराट ने घोषणा की है कि अगर औरंगाबाद का नाम बदलने का कोई भी प्रस्ताव एमवीए सरकार के सामने आता है तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी। यह उनका दावा है। उनके इस बयान के बाद भाजपा नेताओं ने शिवसेना से इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग करना शुरू कर दिया है। लेकिन शिवसेना ने अपना रुख नहीं बदला है।”