पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार (6 अगस्त) देर रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा स्वराज ने अपने जीवन में कई अहम कीर्तिमान स्थापित किए। इनमें दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने से लेकर बतौर पहली महिला विदेश मंत्री कार्यकाल पूरा करने तक रिकॉर्ड शामिल है। इसके अलावा उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद देश का सबसे प्रखर वक्ता भी माना जाता था।
बात 2004 की है। उस वक्त देश में इंडिया शाइनिंग का नारा था और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार की सत्ता वापसी की अटकलें हर तरफ थीं। हालांकि, कांग्रेस ने पलटवार करते हुए जीत दर्ज की और मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने। अप्रैल 2006 में सुषमा स्वराज दोबारा मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद चुनी गईं और उन्होंने सदन में बीजेपी के डिप्टी लीडर की जिम्मेदारी संभाली। उस दौरान उन्होंने अपनी वाकपटुता से कई बार सत्ता पक्ष को चारों खाने चित्त किया था।
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युवावस्था से ही सुषमा स्वराज अच्छी वक्ता रहीं। हरियाणा के लैंग्वेज डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित राजकीय प्रतियोगिता में उन्होंने लगातार तीन बार बेस्ट हिंदी स्पीकर का अवॉर्ड जीता। वहीं, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जब वह विदेश मंत्री बनीं तो संयुक्त राष्ट्र में भी उनके भाषण की काफी तारीफ हुई थी। इस भाषण में सुषमा ने पाकिस्तान को जमकर खरी-खोटी सुनाई थी।
सुषमा स्वराज ने 1977 में पहला चुनाव लड़ा था। उस वक्त वह महज 25 साल की थीं और हरियाणा की अंबाला सीट से जीतकर देश की सबसे युवा विधायक बनी थीं। इसके बाद उन्हें हरियाणा की देवीलाल सरकार में कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। इस तरह सुषमा स्वराज किसी राज्य की सबसे युवा मंत्री भी रहीं।
सुषमा स्वराज ने अप्रैल 1990 में पहली बार राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा था। उस वक्त उन्हें राज्यसभा सांसद चुना गया था। वहीं, 1996 में वह दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बनी थीं। उस वक्त 13 दिन की वाजपेयी सरकार में वह सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनी थीं।