सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को चुनाव आयोग के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पूर्व सीएम कमलनाथ के नाम को एमपी उपचुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटा दिया गया था। बता दें कि मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर आज यानि कि 3 नवंबर को मतदान हो रहा है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने चुनाव आयोग के वकील राकेश द्विवेदी से कहा कि “हम आपके आदेश पर रोक लगा रहे हैं। आपको यह पावर किसने दी कि आप एक नेता का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटा दें।” राकेश द्विवेदी ने कोर्ट से कहा कि वह इस मामले में जल्द ही जवाब दाखिल करेंगे। उन्होंने ये भी कहा कि “अब यह मामला निष्फल है क्योंकि चुनाव प्रचार खत्म हो चुका है और मंगलवार को मतदान होना है।”
वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसले पर रोक लगाने के बाद चुनाव आयोग ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि माननीय सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है। चुनाव आयोग को इस मामले में अपना जवाब दाखिल करने का मौका दिया गया है, जिसे जल्द से जल्द दाखिल कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा किसी नेता का स्टार प्रचारक का दर्जा खत्म करने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव आयोग ने भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा को भी पार्टी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट से हटा दिया था। दरअसल अनुराग ठाकुर और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने प्रचार के दौरान विवादित बयान दिए थे, जिसके बाद चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ कार्रवाई की थी।
कमलनाथ की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पैरवी की। कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि चुनाव आयोग की तरफ से कमलनाथ के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। कमलनाथ ने अपनी याचिका में कहा था कि चुनाव आयोग ने 13 अक्टूबर के उनके एक भाषण के खिलाफ कार्रवाई करते हुए 30 अक्टूबर को उनके खिलाफ कार्रवाई की। 13 अक्टूबर को दिए गए अपने भाषण में कमलनाथ ने सीएम शिवराज सिंह चौहान को ‘माफिया’ और ‘मिलावटखोर’ कहा था।
कमलनाथ ने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग की तरफ से 21 अक्टूबर को एक नोटिस भेजा गया था, जिसमें डबरा में आयोजित हुई रैली में चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन करने की बात कही गई थी। बता दें कि डबरा की रैली में ही कमलनाथ ने भाजपा नेता और शिवराज सरकार में मंत्री इमरती देवी को ‘आइटम’ बता दिया था।
कमलनाथ ने 22 अक्टूबर को उक्त नोटिस का जवाब दे दिया था। जिसके बाद 26 अक्टूबर को चुनाव आयोग ने आदेश देते हुए उन्हें प्रचार के दौरान ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने की हिदायत दी थी। कमलनाथ के अनुसार, 18 अक्टूबर की घटना के खिलाफ 26 अक्टूबर को आदेश दे दिया था। ऐसे में उन्हें उसी घटना को लेकर दंड देना गलत है।