सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक वकील से कहा कि जेल में बंद जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डीयू के पूर्व लेक्चरर एसएआर गिलानी और कुछ अन्य के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई से पहले वह अटार्नी जनरल की राय ले। याचिकाकर्ता ने इन लोगों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई के लिए यह आधार दिया है कि उन्होंने अफजल गुरु की मौत की सजा के अमल को कथित रूप से न्यायिक हत्या बताया था।
प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमती और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने कहा, ‘आपको एजी (अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी) की राय लेनी होगी क्योंकि यह कानूनी जरूरत है। आप कृपया फिर से एजी के पास जाएं।’ शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां उस समय कीं जब पुणे के वकील विनीत ढांडा ने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। उन्होंने कहा कि अफजल गुरु की फांसी को न्यायिक हत्या कहना फैसला सुनाने वाली देश की शीर्ष अदालत की अवमानना है। अवमानना याचिका में शीर्ष अदालत के चार अगस्त 2005 के फैसले का जिक्र किया गया है।
इसमें संसद पर हमले की साजिश में शामिल होने पर गुरु को मौत की सजा सुनाई गई थी। याचिका में कहा गया है कि जेएनयू में आयोजित तथाकथित सांस्कृतिक कार्यक्रम के पर्चों में अफजल गुरु की न्यायिक हत्या की बात की गई। इस ‘सांस्कृतिक कार्यक्रम’ का मुख्य विषय अफजल गुरु की न्यायिक हत्या था। याचिकाकर्ता वकील का कहना था कि यह आपराधिक अवमानना के बराबर है क्योंकि प्रतिवादियों ने शीर्ष अदालत के जजों को अफजल गुरु की न्यायिक हत्या करने वाले हत्यारों के रूप में पेश किया।