कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के बीच देशभर में स्वास्थ्यकर्मी और पुलिसकर्मी जी-जान से ड्यूटी पर जुटे हैं। जहां डॉक्टर-नर्स अस्पतालों के अंदर मरीजों की देखभाल कर उन्हें ठीक करने की कोशिश में हैं, वहीं पुलिसकर्मी सड़कों पर हर दिन खतरों के बावजूद जनता से लॉकडाउन का पालन करा रहे हैं। कोरोना के खिलाफ इस जंग में सभी क्षेत्र के लोग अपनी-अपनी तरफ से योगदान भी दे रहे हैं। इनमें खेल का सामान बनाने वाली कुछ कंपनियां भी शामिल हो गई हैं। मेरठ में स्पोर्ट्स का सामान बनाने वाली कंपनी स्टैग (STAG) और वैट्स (VATS) इस नाजुक समय में कोरोना वॉरियर्स के लिए फेस मास्क, गाउन, शील्ड और जूते बनाने में जुटी हैं।

खास बात यह है कि मेरठ में अब तक कोरोना के 85 मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यहां कई इलाके कंटेनमेंट जोन और हॉटस्पॉट के अंतर्गत हैं। इन जगहों की सीलिंग भी हो चुकी है। इसके बावजूद यह स्पोर्ट्स कंपनियां जरूरी सामान का उत्पादन करने में जुटी हैं।

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स्टैग कंपनी के मालिक विवेक कोहली के मुताबिक, उन्हें कुछ दिनों पहले मेरठ में ही रहने वाले एक डॉक्टर दोस्त का फोन आया था। वे टेबल टेनिस नहीं, बल्कि गाउन, मास्क, फेस शील्ड और जूते की मांग कर रहे थे। इसके कुछ ही दिन बाद मेरठ की कमिश्नर अनीता मेश्राम कोहली और अन्य खेल का सामान बनाने वाली कंपनी के मालिकों से मिलने पहुंचीं। कमिश्नर ने कहा कि कोरोना से जंग में जुटे लोगों को जल्द ही बड़ी मात्रा में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) की जरूरत पड़ेगी। इसके बाद ही वैट्स स्पोर्ट्स ने भी 40 फीसदी कामगारों के साथ ही पीपीई बनाना शुरू कर दिया। उत्पादन के दौरान अभी भी मजदूर सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन कर रहे हैं।

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टेबल टेनिस से जुड़े खेल के सामान बनाने वाली स्टैग इंटरनेशनल के सह संस्थापक कोहली का कहना है कि उन्होंने पीपीई किट्स के लिए किट बैग में इस्तेमाल होने वाले कपड़े का सैंपल प्रशासन को भेज दिए हैं, जो कि मंजूरी के लिए केंद्रीय टीम को भेजे गए हैं। कोहली ने बताया कि हमने पहले अपने बनाए सामान को यूपी के मेडिकल बोर्ड के सामने पेश किया। वहां कुछ छोटे बदलाव के लिए कहा गया। इस हफ्ते हमारे सैंपल्स अप्रूवल के लिए गए हैं। हमें विश्वास है कि मंजूरी मिल जाएगी, क्योंकि मेरठ के टॉप डॉक्टर पहले ही इन सामानों का इस्तेमाल कर रहे हैं। मंजूरी के बाद हम इनकी सप्लाई बड़ी मात्रा में वाजिब कीमतों में करेंगे, क्योंकि यह संकट का समय है और हमें अपने डॉक्टरों और फ्रंटलाइन वर्करों को बचाना है।