जेएनयू मामले में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि सत्ता तो इंदिरा गांधी ने भी खोई थी। लेकिन उनके बेटे ने भारत की बरबादी के नारों का समर्थन नहीं किया था। लोकसभा में जेएनयू, हैदराबाद विवि और अन्य उच्च शिक्षण संस्थाओं की स्थिति पर हुई विशेष चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए स्मृति ने कहा, किसी घटना स्थल पर राहुल गांधी दोबारा नहीं जाते, लेकिन इस मामले में (हैदराबाद विवि) राजनीतिक अवसरवादिता के चलते दो बार गए। कांग्रेस सदस्यों के टोकाटाकी पर स्मृति ने कहा, क्या अमेठी से चुनाव लड़ने की मुझे सजा दी जा रही है।

राहुल पर हमला जारी रखते हुए स्मृति ने कहा, अगर राहुल उनसे कहते कि हम दोनों जेएनयू चलते हैं क्योंकि वह जेएनयू जहां के बच्चों ने सीमा पर कुरबानी दी, वहां कुछ लोग आज भारत की बरबादी के नारे लगा रहे हैं, तो वे खुशी-खुशी जातीं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं कहा। विपक्ष की टोकाटोकी पर उन्होंने व्यंग्य किया कि आप लोग अल्पसंख्यकों की बात करते हैं तो मैं भी यह कह सकती हूं कि मैं एक महिला हूं और अत्यंत सूक्ष्म अल्पसंख्यक वर्ग (पारसी) से आती हूं, इसलिए मुझे नहीं बोलने दे रहे हैं।

स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्हें हजारों की संख्या में लोगों से अर्जियां मिली हैं और उन्होंने इसका निपटारा किया और किसी से यह नहीं पूछा कि उनकी जाति या धर्म क्या है। विपक्ष, खासकर कांग्रेस के आरोपों पर तीखे तेवर अपनाते हुए स्मृति ने कहा कि मुझे पर आरोप लगाए जा रहे हैं कि हैदराबाद विश्वविद्यालय को पत्र क्यों लिखा। कांग्रेस सांसद हनुमंथ राव के कई पत्र मुझे मिले और इसमें कहा गया कि हैदराबाद विश्वविद्यालय में न्याय होना चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी नीयत में कोई खोट नहीं थी और इस कारण पत्र लिखा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बच्चे की मृत्यु पर राजनीति की जा रही है। जिस समिति ने दलित बच्चे को बर्खास्त करने की सिफारिश की, उसका गठन कांग्रेस की सरकार के समय हुआ था। अपनी बात रखते हुए कई बार स्मृति बेहद भावुक हो गई और अपने भावनाओं पर काबू करती दिखीं। उन्होंने कहा कि रोहित के शव का इस्तेमाल राजनीतिक हथियार की तरह किया गया। उस बच्चे के पास काफी समय तक कोई नहीं गया। उन्होंंने सवाल किया कि वहां डॉक्टर नहीं पहुंचने पर कौन चिकित्सकीय रूप से इतना कुशल था जिसने वेमुला को मृत घोषित किया।

कांग्रेस विशेष तौर पर राहुल गांधी द्वारा विश्वविद्यालय के कुलपतियों को बदले जाने के आरोप पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि यूपीए के समय नियुक्त किए गए किसी कुलपति को हटाया नहीं गया है। जेएनयू प्रकरण पर आरोपों के जवाब में स्मृति सदन में काफी दस्तावेज और कागजात लेकर आर्इं थीं।

उन्होंने कहा कि इनमें ऐसे कागजात है जो गृह मंत्रालय के नहीं बल्कि जेएनयू के सुरक्षा विभाग और उस संस्थान के हैं। और इनसे यह बात साबित होती है कि वहां भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक नारे लगाए गए।