Avimukteshwaranand Saraswati ON Gyanvapi Case: उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज्ञानवापी मामले को लेकर स्वामी स्वरुपानंद के बाद शंकराचार्य बने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बड़ा दिया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने ज्ञानवापी मामले को विचार योग्य माना है तो क्या बाकी को छोड़ देंगे, जहां मंदिरों को तोड़ा गया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद मध्य प्रदेश के जबलपुर में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी के मामले को विचार योग्य माना गया है, ऐसे न जाने कितने मामले हैं। बाकी के मामले को क्या छोड़ दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बाकी जगहों को लेकर हमारे मन में पीड़ा है। हमारे मंदिरों और मूर्तियों को तोड़कर वहां पर अन्य लोग बैठे हुए हैं। हम अगर उनका तोड़ करके बैठ जाएं तो क्या उनको पीड़ा नहीं होगी।
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हम दोनों धर्मों के लोग मनुष्य ही हैं। दोनों की आस्था है। दोनों को पीड़ा होती है। जहां हमारे स्थान वो बैठ गए हैं तो उसको लेकर हमको पीड़ा है। कहीं हम हैं तो उनको भी पीड़ा होगी, वो कहें। इस पर विचार होकर सब सही हो जाए, जो जहां का है, वो वहां चला जाए। उन्होंने कहा कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप अधिनियम सन् 1991 को तो आज नहीं तो कल रद्द करना होगा। यह काला कानून है। कांग्रेस की सरकार ने गलत कानून बनाया है। भाजपा की सरका को चाहिए कि ये कानून रद्द होना चाहिए।
अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यह गलत प्रचलन था, जब शक्तिशाली लोग किसी के निर्माण को तोड़ देते थे। अब तक यही होता चला आया और हिंदू मंदिरों को तोड़ा गया। उन्होंने कहा कि सब कुछ साफ है, आपका इतिहास, किवदंतिया और जाने कितने लेखक कह चुके हैं कि ज्ञानवापी में साक्षात भगवान शिव प्रकट हुए हैं, लेकिन इसके बावजूद यह मानने में कोर्ट को एक साल लग गया कि यह मामला विचार योग्य है। न्यायालय को आत्म अवलोकन की जरूरत है कि वो किस दिशा में जा रहे हैं।
बता दें, वाराणसी के श्रृंगार गौरी-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की कोर्ट ने सोमवार (12 सितंबर, 2022) को बड़ा फैसला सुनाया था। कोर्ट ने श्रृंगार गौरी में पूजा के अधिकार की मांग को लेकर दायर याचिका को सुनवाई के योग्य माना था। अब 22 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई होनी है।