शिंगणापुर के शनिमंदिर मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए अहमदनगर जिला प्रशासन ने आंदोलनकारी महिला संगठन और मंदिर के प्रबंधकों को बातचीत के लिए शनिवार को बुलाया है। इस विख्यात शनि मंदिर में सदियों से महिलाओं के प्रवेश पर रोक है। इसका विरोध महिला संगठनों ने किया है। पिछले माह महिलाओं ने मंदिर प्रशासन के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया था। कई राजनीतिक दलों ने इस आंदोलन का समर्थन किया था। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी महिलाओं के पक्ष में बोल चुके हैं।
इस आंदोलन की अगुआ भूमाता ब्रिगेड की नेता तृप्ति देसाई ने शुक्रवार को बताया कि मंदिर के अधिकारियों ने इस संवेदनशील मसले पर चर्चा के लिए हमें आमंत्रित किया है। शनिवार को होने वाली इस बातचीत में हम अपना पक्ष जोरदार तरीके से रखेंगे और मंदिर प्रवेश पर लगी रोक को खत्म करने के लिए दबाव बनाएंगे। इससे पहले महिलाओं ने मुख्यमंत्री को अपना मांगपत्र देकर मांग की थी कि शनि मंदिर और राज्य के अन्य मंदिरों पर लगी रोक हटवाने के लिए वे सहयोग दें और पाबंदी हटवाने के लिए दबाव बनाएं। मंदिर के एक न्यासी दयाराम बैंकर ने भी इस बात की पुष्टि की कि शनिवार को होने वाली बातचीत के लिए उन्हें बुलाया गया है।
गौरतलब है कि तृप्ति देसाई की अगुआई में 26 जनवरी को 400 महिलाओं ने शनि मंदिर के चबूतरे पर जाने का असफल प्रयास किया था। पुलिस ने मंदिर से सत्तर किलोमीटर दूर सूपा गांव में इन महिला कार्यकर्ताओं को रोक दिया गया। इन्हें कुछ घंटों तक हिरासत में रखने के बाद बसों में भरकर इन्हें वापस पुणे भेज दिया गया। महिला प्रदर्शनकारियों ने पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हुए नारेबाजी की और इसे गणतंत्र दिवस में महिलाओं केलिए काला दिन करार दिया था। तृप्ति देसाई ने पुष्टि की कि उन्हें अहमदनगर जिलाधिकारी कार्यालय से एक पत्र मिला है जिसमें इस मसले पर विचार विमर्श करने के लिए हमें छह फरवरी को मौजूद रहने के लिए कहा गया है।
इस घटना के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंदिर प्रशासन और महिला आंदोलनकारियों के बीच बातचीत का पक्ष लिया था। उनका कहना था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक का औचित्य नहीं है और उन्हें पूजा का हक मिलना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा था कि भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म ने महिलाओं को पूजा-अर्चना का अधिकार दिया है। पूजा में किसी तरह का भेदभाव हमारी सभ्यता में नहीं है। मंदिर प्रशासन को इस मसले का सर्वमान्य हल निकालने के लिए बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए। राज्य के गृहमंत्री राम शिंदे ने भी कहा था कि सरकार प्रयास करेगी कि मंदिर प्रशासन और महिला कार्यकर्ताओं के बीच बाातचीत के जरिए समस्या का हल निकले।
मंदिर प्रवेश पर लगी पाबंदी के खिलाफ भूमाता ब्रिगेड केआंदोलन को कई महिला संगठनों और राजनीतिक दलों ने अपना समर्थन दिया है। कई धार्मिक नेताओं ने भी महिलाओं के इस धार्मिक अधिकार का समर्थन किया है। कांग्रेस का कहना है कि यह पूरे समाज का पावन दायित्व है कि वे इस मुद्दे पर महिलाओं के समर्थन में आगे आएं। कांग्रेस के महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने एक बयान में कहा कि सरकार का दायित्व है कि वे महिलाओं के अधिकार में आने वाली बाधा को दूर करे और उन्हें रोके जो अड़ंगाडाल रहे हैं।
देश भर में विख्यात शिंगणापुर के शनि मंदिर के चबूतरे पर महिलाओं के प्रवेश की पाबंदी को धार्मिक परंपरा का हिस्सा बताया जाता रहा है। इस चबूतरे पर पांच फुट ऊंचा काला पत्थर है जिसे शनि भगवान मानकर पूजा जाता है। देशभर के भक्त इस शनि मंदिर में आते हैं। पिछले दिनों एक महिला किसी तरह इस जगह पहुंच गई थी जिसके बाद मंदिर के पुजारियों ने इसका ‘शुद्धिकरण’ किया था। इसके बाद मंदिर क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी।
शिंगणापुर में महिलाओं के अर्चना अधिकार को लेकर चले आंदोलन के बीच मुंबई में मुसलिम महिलाएं भी अपने हक के लिए आगे आईं और उन्होंने हाजी अली दरगाह में महिलाओं के लिए लगी पाबंदी हटाने की मांग उठाई। इस बारे में एक याचिका हाई कोर्ट में लंबित है।

