यूपी के शामली जिले के कांधला तिराहे पर 17 साल पहले गुर्जर आरक्षण आंदोलन के दौरान जाम लगाने के मामले में एक नई हलचल शुरू हो गई है। कैराना कोर्ट ने भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक महेंद्र सिंह टिकैत और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान समेत कई लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इस केस में सुनवाई से पहले दो लोग जमानत पर छूट चुके हैं। हालांकि, महेंद्र सिंह टिकैत की कई साल पहले ही मृत्यु हो चुकी है।

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष समेत आठ अन्य लोगों पर भी केस

बचाव पक्ष ने कोर्ट में डेथ सर्टिफिकेट नहीं जमा किया था। मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी। इस बीच पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान उर्फ मोनू समेत अन्य आठ लोगों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। पुलिस इनकी तलाश कर रही है। जाम लगाने का मामला 2007 का है, जब राजस्थान में गुर्जर आरक्षण के विरोध में प्रदर्शन के दौरान कांधला के दिल्ली रोड पर जाम लगाया गया था। उस समय कांधला थाने के उपनिरीक्षक सुनील कुमार ने महेंद्र सिंह टिकैत, मनीष चौहान और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।

पुलिस ने कैराना एसीजेएम कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। जब महेंद्र सिंह टिकैत, भाकियू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मेनपाल चौहान और मनीष चौहान कोर्ट में हाजिर नहीं हुए, तो उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।

ध्यान देने वाली बात यह है कि महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु 13 साल पहले हो चुकी है, लेकिन उनके बचाव पक्ष ने अब तक डेथ सर्टिफिकेट कोर्ट में नहीं सौंपा। पुलिस ने उनके परिवार से संपर्क किया, लेकिन उन्हें भी यह दस्तावेज नहीं मिला। अब यह मामला अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में चल रहा है।

इस भारतीय किसान यूनियन के नेता और महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे राकेश टिकैत का कहना है कि “जिस मामले में वारंट जारी हुआ है, वह 17 साल पुराना है। इसके बारे में न तो कोई समन मिला था और न ही मुझे कोई जानकारी थी। फिलहाल अपने वकील के माध्यम से डेथ सर्टिफिकेट जमा करा दूंगा।”