Saharanpur News in Hindi: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश के परिणाम बीजेपी के लिए निराशाजनक रहे। यूपी में बीजेपी को सिर्फ 33 लोकसभा सीटों से संतोष करना पड़ा। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को इतना बड़ा नुकसान क्यों हुआ, इसपर पार्टी हर जिले में फीडबैक ले रही है। ऐसी ही एक मीटिंग शुक्रवार को यूपी वेस्ट के सहारनपुर में हुई, जहां हार के कारण पता लगाने के लिए जुटे भाजपाई एक-दूसरे को पीटने के लिए तैयार हो गए।
सहारनपुर में इस बार बीजेपी ने पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा था, वह लगातार दूसरी बार चुनाव हारे हैं। हार की समीक्षा बैठक में शुक्रवार को आए पर्यवेक्षकों प्रदेश भाजपा महामंत्री गोविंद नारायण शुक्ला और हरदोई की बिलग्राम के विधायक आशीष सिंह के सामने राघव लखनपाल शर्मा के समर्थकों और विधायकों के समर्थकों में तीखी नोंकझोंक देखने को मिली। पर्यवेक्षकों के सामने ही भिड़े पार्टी कार्यकर्ताओं ने हार को लेकर एक-दूसरे पर तीखे आरोप लगाए। इस दौरान मारपीट तक की नौबत आ गई।
समीक्षा बैठक में राघव लखनपाल के भाई राहुल शर्मा, नगर अध्यक्ष पुनीत त्यागी, मेयर डॉ. अजय सिंह, विधायक मुकेश चौधरी एवं कीरत सिंह, बीजेपी जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी आदि मौजूद थे। राघव लखनपाल शर्मा इस बार कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद से 64 हजार वोटों से चुनाव हारे जबकि पिछले चुनावों में वह बसपा के फजलुर्रहमान कुरैशी से 22 हजार वोटों से हारे थे।
क्या रहे सहारनपुर में बीजेपी की हार के कारण?
बताते हैं कि बीजेपी आलाकमान ने आखिर तक राघव लखनपाल शर्मा का टिकट रोक रखा था। यूपी बीजेपी अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अपनी इज्जत का सवाल बनाकर राघव लखनपाल शर्मा को तीसरी बार टिकट दिलाया था। सहारनपुर जिले में बीजेपी के राजपूत नेता बिरादरी का वोट बीजेपी के पक्ष में नहीं करा पाए। सहारनपुर महानगर में विधायक राजीव गुंबर द्वारा अपनी मर्जी का अध्यक्ष मनोनीत कराया। जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकाल बढ़ाया।
क्या समीक्षा बैठकें कर खानापूर्ति कर रही बीजेपी?
लोगों का कहना है कि बीजेपी आलाकमान हार की कमियों को जानना ही नहीं चाहता। इसीलिए समीक्षा बैठकें कराकर लीपापोती की कोशिश की जा रही है। पूरे चुनाव के दौरान हर किसी को बीजेपी के मैनेजमेंट में खामियां दिखीं। उसका एक भी कार्यक्रम सफल नहीं हुआ। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मतदाताओं तक अपनी पहुंच नहीं बना सके और अब हार का ठीकरा एक-दूसरे पर फोड़ रहे हैं।
बहरहाल, समीक्षा बैठक के दौरान पार्टी कार्यकर्ता गरमागरम बहस के बीच एक-दूसरे पर आरोप मढ़ते रहे। इससे कई बार वहां मौजूद पर्यवेक्षक भी खुद को असहज महसूस कर रहे थे, लेकिन उन्होंने किसी तरह हालात को संभाला। स्थिति तो तब बिगड़ने लगी, जब बैठक में हाथापाई की नौबत आ गई। काफी ज्यादा मशक्कत के बाद वरिष्ठ नेताओं ने उत्तेजित कार्यकर्ताओं को समझा-बुझाकर मामला शांत किया।