Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की थी, लेकिन इस जीत के बाद कई दिनों तक यह कयास लगते रहे कि आखिर राज्य का मुख्यमंत्री कौन होगा। मुख्यमंत्री के चयन को लेकर अंतत: 12 दिसबंर को राजस्थान के जयपुर भाजपा कार्यालय में बीजेपी विधायक दल की बैठक हुई, लेकिन वहां पहुंचने वाले विधायकों में कुछ ही चुनिंदा लोगों को इस बात की भनक थी कि राज्य का वास्तव में मुख्यमंत्री कौन होगा।

वायरल हो रहे एक वीडियो में एक भजल लाल शर्मा जैसे ही चलते हैं तो कोई उन्हें भाई साहब कहकर बुलाता है। जिसके बाद शर्मा जिस ओर से आवाज आती है, उस तरफ कैमरे की ओर देखने लगते हैं। तभी, एक व्यक्ति जो शर्मा का पीछा कर रहा था, तेजी से उनके पीछे से आता है और धीरे से उनका हाथ पकड़कर उन्हें दूर ले जाता है, जिससे शर्मा भी आश्चर्यचकित हो जाते हैं। अगले ही कुछ घंटे में जैसे ही भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री के लिए चुना। इससे उस व्यक्ति का महत्व भी स्पष्ट हो गया, जो उन्हें बात करने के लिए सबसे अलग ले गया था। यह भाजपा महासचिव (संगठन) चन्द्रशेखर थे।

इस सफल राजस्थान अभियान के बाद चंद्रशेखर को संघ परिवार ने 15 जनवरी को तेलंगाना का प्रदेश महामंत्री नियुक्त कर दिया। यह एक ऐसा राज्य जहां भाजपा के लिए त्वरित पैठ बनाने की उम्मीदें झूठी सी लगती हैं।

2017 से राजस्थान में काम कर रहे थे चंद्रशेखर

चंद्रशेखर सितंबर 2017 से राजस्थान में काम कर रहे हैं। वे आरएसएस के प्रचारक हैं और मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के रहने वाले हैं। राजस्थान में उनका प्रवास काफी लंबा हो गया था।

2014 में पीएम मोदी के चुनाव में निभा चुके अहम भूमिका

चंद्रशेखर सबसे पहले आरएसएस में विभाग प्रचारक बने और भाजपा में अधिक राजनीतिक भूमिका में आने से पहले अपने गृह राज्य में सक्रिय रहे।
पर्दे के पीछे काम करते हुए उन्होंने एक कुशल संगठनकर्ता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उनकी प्रोफ़ाइल को और अधिक बढ़ावा देने वाली बात यह थी कि 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान वह काशी क्षेत्र के लिए भाजपा के महासचिव (संगठन) थे। यह वह चुनाव था, जिसमें नरेंद्र मोदी ने वाराणसी लोकसभा से चुनाव लड़ा और प्रधानमंत्री बने।

अगस्त 2017 में जब उन्हें राजस्थान में नियुक्त किया गया, तब वह उत्तर प्रदेश भाजपा के महासचिव (संगठन-पश्चिमी क्षेत्र) थे। चन्द्रशेखर को राजस्थान के लिए स्पष्ट रूप से सरकार, पार्टी की राज्य इकाई में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और संघ की मजबूत पकड़ के बीच संबंधों को सुधारने की कोशिश करने के लिए चुना गया था। चन्द्रशेखर के कार्यभार संभालने से पहले राजे और संघ के बीच खराब संबंधों के बीच यह पद लगभग आठ वर्षों तक खाली था।

राजस्थान में भजनलाल और चंद्रशेखर अक्सर साथ देखे गए

संयोगवश, जिस समय चन्द्रशेखर को राजस्थान लाया गया था। उस वक्त भजनलाल भी राज्य भाजपा में महासचिव थे। अपने पदों के कारण एक साथ आए। दोनों को अक्सर एक साथ देखा जाने लगा।

फरवरी 2018 में जयपुर में “संकल्प से सिद्धि” कार्यशाला में चन्द्रशेखर और शर्मा मुख्य वक्ता थे। फिर, जब 16 अगस्त, 2018 को पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन हो गया, तो दोनों आधिकारिक तौर पर पार्टी की राज्य इकाई की ओर से सम्मान देने के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन लाल सैनी के साथ जयपुर गए।

जबकि पार्टी उस साल के अंत में राजस्थान विधानसभा चुनाव हार गई, लेकिन उसने 2014 के आंकड़ों को दोहराते हुए 2019 में सभी 25 लोकसभा सीटें जीत लीं।

चंद्रशेखर ने ही भैरों सिंह शेखावत से लेकर वसुंधरा राजे को साइड किया

2018 और 2023 के बीच चंद्रशेखर उन नेताओं में से एक थे, जिन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को राज्य इकाई का पूर्ण नियंत्रण हासिल करने में मदद की। जिससे भैरों सिंह शेखावत से लेकर अब वसुंधरा राजे तक के मजबूत पार्टी नेताओं के युग का अंत हो गया। यह भी कहा जाता है कि सतीश पूनिया की जगह सीपी जोशी को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के कदम के पीछे भी चंद्रशेखर का हाथ था और माना जाता है कि उन्होंने सीएम के रूप में शर्मा का समर्थन किया था।

चंद्रशेखर को राजस्थान में पार्टी नेताओं से आलोचना का भी सामना करना पड़ा

साथ ही पिछले छह वर्षों में चंद्रशेखर को पार्टी की राज्य इकाई में काफी आलोचना का सामना करना पड़ा। यह सूची पिछले साल विधानसभा चुनावों के दौरान और भी बढ़ गई। चुनाव के दौरान और उसके बाद के महीनों में चन्द्रशेखर पर आरोप लगाते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि पार्टी बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रही थी, लेकिन टिकट वितरण में ‘अनियमितताओं’ के कारण, हम केवल 115 सीटों तक ही पहुंच सके।

इसलिए जब उनके तेलंगाना जाने की खबर आई, तो राजस्थान इकाई में कुछ खुश चेहरे थे, लेकिन कुछ अन्य लोग पार्टी की राज्य इकाई में परिवर्तन को लागू करने में उनकी भूमिका को महत्वपूर्ण और “साहसी” मानते हैं, और इस प्रकार उन्हें तेलंगाना भेजने का निर्णय लिया गया, जहां पार्टी हाल के चुनावों में तीसरे स्थान पर रही।

पार्टी के एक नेता ने कहा, “उन्होंने अपनी क्षमता साबित कर दी है, इसलिए उन्हें तेलंगाना भेजा जा रहा है, जहां एक बड़ी चुनौती उनका इंतजार कर रही है।”

राजस्थान में सरकार बनाने और राज्य में कुछ हलकों के विरोध से भलीभांति परिचित होकर चन्द्रशेखर ने कथित तौर पर एक नया कार्यभार मांगा था। इसकी सूचना मिलने के करीब तीन दिन बाद उन्हें तेलंगाना शिफ्ट कर दिया गया।