उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को हुआ था। इसमें पुजारियों के ग्रुप का नेतृत्व करने वाले वाराणसी के वैदिक विद्वान पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित का शनिवार को निधन हो गया। लक्ष्मीकांत दीक्षित 86 वर्ष के थे और उन्होंने सुबह 6:45 बजे अंतिम सांस ली। लक्ष्मीकांत दीक्षित हिंदू समुदाय के प्रति अपनी गहरी निष्ठा के साथ-साथ अपने नेतृत्व के लिए भी जाने जाते थे।
एक वैदिक ‘कर्मकांड’ (अनुष्ठान) विद्वान के रूप में विख्यात लक्ष्मीकांत दीक्षित को रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह को संपन्न करने के लिए वेदों की सभी शाखाओं के 121 विद्वानों की एक टीम का नेतृत्व करने के लिए चुना गया था। लक्ष्मीकांत दीक्षित 17वीं सदी के प्रतिष्ठित काशी विद्वान गागा भट्ट के वंशज थे, जिन्होंने लगभग 350 साल पहले 1674 में छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का नेतृत्व किया था।
पीएम मोदी ने व्यक्त किया शोक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य दीक्षित के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “देश के मूर्धन्य विद्वान और साङ्गवेद विद्यालय के यजुर्वेदाध्यापक लक्ष्मीकान्त दीक्षित जी के निधन का दुःखद समाचार मिला। दीक्षित जी काशी की विद्वत् परंपरा के यशपुरुष थे। काशी विश्वनाथ धाम और राम मंदिर के लोकार्पण पर्व पर मुझे उनका सान्निध्य मिला। उनका निधन समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।”
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी दुख व्यक्त किया। सीएम योगी ने लिखा, “काशी के प्रकांड विद्वान एवं श्री राम जन्मभूमि प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य पुरोहित, वेदमूर्ति, आचार्य श्री लक्ष्मीकांत दीक्षित जी का गोलोकगमन अध्यात्म व साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति है। संस्कृत भाषा व भारतीय संस्कृति की सेवा हेतु वे सदैव स्मरणीय रहेंगे। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान एवं उनके शिष्यों और अनुयायियों को यह दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति!”
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन इसी वर्ष 22 जनवरी को हुआ था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसमें मुख्य अतिथि थे। बड़े धूमधाम के साथ प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन हुआ था।