राज्यसभा में प्राकृतिक रबर की कीमतों में गिरावट का मुद्दा शुक्रवार को उठा। सांसदों ने सरकार से रबर किसानों की समस्या पर ध्यान देने और समुचित कदम उठाने की मांग की। शून्यकाल में माकपा के केएन बालगोपाल ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि देश में 11 लाख किसान रबर का उत्पादन कर रहे हैं। रबर की कीमतों में गिरावट के कारण किसान परेशान हैं। आज स्थिति यह है कि वे रबर के पेड़ काटने लगे हैं। ये किसान रबर के उत्पादन से बच रहे हैं जिसके कारण रबर का उत्पादन छह लाख टन सालाना हो गया है जो कभी नौ लाख टन सालाना था।

बालगोपाल ने कहा कि रबर की कीमत पहले 240 रुपए प्रति किलो थी जो आज घट कर केवल 80 रुपए प्रति किलो रह गई है। जब भारत-आसियान समझौता हुआ था तब कहा गया था कि कीमत नहीं घटेगी लेकिन हुआ इसके विपरीत। पहले इस उत्पाद के मूल्य स्थिरीकरण के लिए कोष होने और 600 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज देने की बात की गई थी। लेकिन रबर किसानों की समस्याएं जस की तस रहीं और आज वह आत्महत्या कर रहे हैं।

बालगोपाल ने कहा कि रबर उत्पादन करने वाले 11 लाख किसानों को तत्काल विशेष पैकेज दिया जाना चाहिए तथा अन्य समुचित कदम उठाने चाहिए। कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि 18 माह से रबर बोर्ड में कोई पूर्णकालिक अध्यक्ष भी नहीं है। इस पर उपसभापति पीजे कुरियन ने सदन में मौजूद संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी से कहा कि वह इस बारे में वाणिज्य मंत्री को अवगत कराएं। रबर की कीमत में गिरावट पर चिंता जताते हुए कुरियन ने कहा कि अब किसान पेड़ काटने लगे हैं तो क्या आने वाले समय में हमें रबर का आयात करना होगा। रबर बोर्ड केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है और 18 माह से बोर्ड के पूर्णकालिक अध्यक्ष का पद रिक्त क्यों है?

पिछले दिनों सदन के सदस्य चंदन मित्रा की अगुवाई में एक समिति ने केरल जा कर रबर उत्पादक किसानों की समस्याएं सुनी थीं। भाजपा के चंदन मित्रा ने कहा कि हमारी सर्वदलीय समिति ने रबर किसानों से बात की और सचमुच वह लोग गहरे संकट में हैं। उन लोगों ने आयात पर ड्यूटी लगाने की मांग की है ताकि मलयेशिया से रबर के आयात पर रोक लगाई जा सके। समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश कर दी है जिसमें रबर के आयात पर ड्यूटी लगाने की सिफारिश की गई है।