महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए इमरान प्रतापगढ़ी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने के बाद विश्वबंधु राय ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भेज दिया है। उन्होंने सवाल किया कि क्या पार्टी आलाकमान सिर्फ दिल्ली में दरबारी करने वालों को ही निष्ठावान और पार्टी को मजबूत करने वाला समझती है। विश्वबंधु राय कांग्रेस से पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। वहीं इमरान प्रतापगढ़ी उत्तर प्रदेश से कांग्रेसी नेता के साथ एक मुस्लिम चेहरा भी हैं।
विश्वबंधु राय ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गए पत्र में लिखा, ‘ राज्यसभा के लिए महाराष्ट्र के कोटे से इमरान प्रतापगढ़ी को भेजा जाना स्थानीय नेताओं के साथ अन्याय है।’ उन्होंने आगे लिखा कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना मुंबई में हुई थी। आज भी महाराष्ट्र से राज्यसभा की सदस्यता के लिए कई योग्य, सक्रिय और जनाधार वाले नेता पार्टी से जुडे़ हैं। जिन सभी की कई बार उपेक्षा की जा चुकी है। उन्होंने सवाल किया कि क्या पार्टी आलाकमान सिर्फ दिल्ली में दरबारी करने वालों को ही निष्ठावान और पार्टी को मजबूत करने वाला समझती है। क्या अपने लोकल क्षेत्र में आम जनता के बीच काम करने वाले पार्टी नेताओं की निगाह में अहमियत नहीं रखते’।
इमरान प्रताप गढ़ी को लेकर विश्वबंधु राय ने आगे लिखा कि इमरान प्रताप गढ़ी जुम्मा-जुम्मा चार दिन पहले पार्टी से जुड़े हैं। मुरादाबाद लोकसभा से 6 लाख के करीब वोटों से चुनाव हार चुके हैं। अभी तक एक भी नगर-निगम चुनाव नहीं जीतवा सके हैं। फिर भी उनको अल्पसंख्यक विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद सौंप दिया गया। अब इनको राज्यसभा भी भेजा जा रहा है। उन्होंने लिखा कि आम जनता और पार्टी कार्यकर्ता इमरान को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने को लेकर ‘अल्पसंख्यक तुष्टिकरण’ की नजर से देख रही है। जबकि अल्पसंख्यकों के प्रभावशाली नेता भी इस फैसले से नाखुश हैं। ऐसे में कांग्रेस पार्टी न बहुसंख्यक हिंदुओं को खुश कर पा रही है और न ही अल्पसंख्यकों को।
उन्होंने आगे लिखा कि एक ही शख्स को लेकर पार्टी इतनी खुश क्यों है? क्या इनके मुशायरे में इतनी खूबी है कि पार्टी के अन्य नेताओं की अनदेखी की जाए। उन्होंने लिखा कि ऐसी ही अनदेखी पंजाब में भी की गई थी। नवजोत सिंह सिद्दू जैसे नादान शख्स को पंजाब कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। नतीजा सब देख चुके हैं। सिद्धू भी तुकबंदी से शायरी कर लेते थे। तो क्या पार्टी में करियर बनाने के लिए शायर होना अनिवार्य हो गया है?
उन्होंने सवाल किया कि महाराष्ट्र से सांसद बनकर इमरान कैसे यहां के मुद्दों की बात कर लेंगे। अपना फंड कहां खर्च करेंगे। महाविकास अघाड़ी सरकार में वैसे भी नेता अपमानित होकर पड़े हैं। अब तो पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी यहां की अनदेखी कर रहा है।
राय ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में दो विधायक जीताने वाले यूपी के तीन नेताओं को राज्यसभा भेजा जाना हास्यास्पद है, जबकि महाराष्ट्र में कांग्रेस के 44 विधायक हैं। क्या यहां की अनदेखी करके पार्टी 44 विधायकों को 4 पर समेटना चाहती है।
राय ने कहा कि महाराष्ट्र के नेता मुकुल वासनीक महासचिव पद पर हैं। इन्हें राजस्थान कोटे से राज्यसभा भेजा जा रहा है। यह अपनी सांसद निधि का प्रयोग कहां करेंगे। राजस्थान अथवा महाराष्ट्र में? इनका भी पूरा अस्तित्व दिल्ली कार्यालय तक सिमटा हुआ है। उन्होंने सवाल किया कि क्या दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में बोरिया, बिस्तर लेकर रहने वाले ही सारे मुख्य, पद, प्रभार और पार्टी का टिकट पाने के अधिकारी हैं। ऐसे में अलग-अलग प्रदेशों में पार्टी कार्यालय खोलने का क्या लाभ है।
राज्यसभा में सरकार को घेरने वाले और निडर नेताओं को भेजने की जरूरत थी। जो अपने राज्य में पार्टी को मजबूत कर सकें। उन्होंने कहा कि फिलहाल राजस्थान और महाराष्ट्र से राज्यसभा से उम्मीदवार हार भी जाए, तब भी कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी। इसलिए पार्टी अपने निर्णय की समीक्षा स्वयं करे।