राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस ने भाजपा सरकार को कई मसलों पर जमकर घेरा। कांग्रेस ने सबसे ज्यादा खिंचाई गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया की। राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं पर दर्ज मुकदमे वापस लेने के मसले पर विधानसभा में भारी हंगामा हुआ और दोनों पक्षों के बीच तीखी नोंक झोंक भी हुई। राज्य विधानसभा में सोमवार को प्रश्नकाल में कांग्रेस के रमेश मीणा के सवाल पर भाजपा और कांग्रेस के सदस्यों के बीच तीखी बहस हो गई। मीणा ने जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने संबंधी सवाल उठाया था। इसी पर सत्ता और प्रतिपक्ष के सदस्य एक दूसरे के आमने सामने हो गए।
कांग्रेस विधायकों की तरफ से सरकार पर भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज व्यक्तिगत मुकदमे वापस लेने का आरोप लगाया गया था। इस पर गृह मंत्री कटारिया ने कहा कि जनआंदोलन से जुड़े मुकदमे ही वापस लिए गए हैं। गृह मंत्री का कहना था कि अब तक 259 मुकदमे वापस लिए गए हैं। इनमें सात ऐसे भी है जिन्हें अदालत ने वापस लेने से इनकार कर दिया है। इसी को लेकर प्रतिपक्षी दल कांग्रेस ने हंगामा कर दिया।
गृह मंत्री के जवाब को गलत करार देते हुए कांग्रेस के कई विधायकों ने गृह मंत्री को घेर लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रद्युमन सिंह, गोविंद सिंह डोटासरा समेत कई सदस्यों ने आरोप लगाया कि गृह मंत्री गलत बयानी कर रहे है। कांग्रेस विधायकों ने गृह मंत्री से कहा कि ये आंकड़े गलत हैं। पुलिस अधिकारी आपको गुमराह कर रहे हैं।
नाराज कांग्रेस विधायकों ने गृह मंत्री से यहां तक कह दिया कि आप सिर्फ नाम के मंत्री हो और आपने गृह मंत्री का मुखौटा पहन रखा है।
पुलिस विभाग का अदना सा इंस्पैक्टर आपकी बात नहीं सुनता है। इसी दौरान भाजपा के सदस्यों ने भी कांग्रेस के विधायकों को तीखे अंदाज में जवाब दिए। इससे सदन का माहौल गरमा गया। गृह मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि कांग्रेस सरकार के अंतिम छह महीने में 71 केस वापस लिए गए। ये मामले कांग्रेस के बड़े नेताओं से जुड़े हुए थे। इस पर भी कांग्रेस और भाजपा विधायकों के बीच काफी देर तक नोंकझोंक होती रही।
विधायक के आचरण से अध्यक्ष नाराज
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने सोमवार निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल द्वारा विधानसभा के अधिकारियों और कर्मचारियों को कथित तौर पर धमकी दिए जाने को गंभीरता से लेते हुए कहा कि किसी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने बेनीवाल को सदन में बोलने की अनुमति देने से इनकार कर दिया । प्र्रश्नकाल समाप्त होने के बाद हनुमान बेनीवाल ने अध्यक्ष कैलाश मेघवाल की अनुमति लिए बिना बोलना आरंभ किया। लेकिन अध्यक्ष ने उन्हें बैठने के निर्देश देते हुए कहा कि उन्हें सदन में बोलने की इजाजत नहीं दी जाएगी क्योंकि उन्होंने विधानसभा के अधिकारियों और कर्मचारियों को उनके कक्ष में जाकर कथित तौर पर धमकाया और अपशब्द कहे हैं।
मेघवाल ने कहा कि किसी भी तरह की अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि यदि कोई विधानसभा के अधिकारी या कर्मचारी को अपशब्द कहता है तो वह अपशब्द उन्हें लगते हैं और वह इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। अध्यक्ष ने आगाह किया कि यदि किसी ने भी विधानसभा के अधिकारियों या कर्मचारियों से दुर्व्यवहार किया तो उनके खिलाफ अनुशानात्मक कार्यवाही की जाएगी।
नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी और कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य प्रद्युम्न सिंह इस मामले को लेकर कुछ कहने लगे लेकिन अध्यक्ष ने स्पष्ट रूप से इस बारे में कुछ भी सुनने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि पहले आप अधिकारियों और कर्मचारियों की बात सुनें। फिर सदन में आकर अपनी बात कहें।