बीते दिनों शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली मध्य प्रदेश सरकार ने सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को तरजीह देने का ऐलान किया था। अब एक और राज्य ऐसा ही करने की तैयारी कर रहा है और वह राज्य है राजस्थान। दरअसल राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार राज्य की सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की तैयारी कर रही है। सीएम अशोक गहलोत ने कार्मिक, प्रशासनिक सुधार, विधि सहित अन्य विभागों के आला अफसरों को इस पूरे मामले का परीक्षण करने के निर्देश दिए हैं।

भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों के हवाले से सीएम गहलोत ने ये भी कहा है कि यदि दूसरे राज्य अपने युवाओं को नौकरियों में प्राथमिकता दे सकते हैं तो राजस्थान ऐसा क्यों नहीं कर सकता। सूत्रों के अनुसार, सरकार राज्य में बढ़ती बेरोजगारी की समस्या को लेकर चिंतित है और कोरोना काल में यह संकट और भी ज्यादा बढ़ गया है। इसी को ध्यान में रखकर सरकार सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को ही मौका देने की तैयारी कर रही है।

राजस्थान में बीते काफी समय से यह मांग उठ रही थी। स्थानीय लोगों की मांग है कि पटवारी, तृतीय श्रेणी शिक्षक, पशुधन सहायक, कृषि पर्यवेक्षक, महिला पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी, पूर्व प्राथमिक शिक्षक और लिपिक जैसे पदों पर स्थानीय युवाओं की ही नियुक्ति की जाए। गौरतलब है कि बीते माह ही मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने राज्य की सभी सरकारी नौकरियों में राज्य के लोगों को 100 फीसदी आरक्षण देने की बात कही थी। शिवराज सरकार ने इसके लिए जल्द ही कानून में बदलाव की बात भी कही थी।

इससे पहले दिग्विजय सिंह की सरकार में भी एमपी में सरकारी नौकरियों में स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता दी जाती थी लेकिन भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस नियम को बदल दिया था लेकिन अब एक बार फिर से भाजपा सरकार ने यह नियम लागू करने का फैसला किया है।

उल्लेखनीय है कि बिहार आरक्षण अधिनियम, 1992 के तहत 60 प्रतिशत सरकारी नौकरियां स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित रखी गई हैं। इसके अलावा जातिगत आरक्षण व्यवस्था भी लागू है। कुछ समय पहले राजद ने बिहार में 90 फीसदी सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को तरजीह देने की मांग की थी, जिसे नीतीश सरकार ने ठुकरा दिया था।