संजीव

पंजाब में इन दिनों राजनीति पूरे उफान पर है। जिन मुद्दों को आधार बनाकर कांग्रेस ने वर्ष 2017 में सत्ता संभाली थी अब नवनियुक्त प्रधान उन्हीं मुद्दों पर सरकार को घेर रहे हैं और सरकार को अपने कार्यकाल की अंतिम छमाही में यह मुद्दे पूरे करने पड़ रहे हैं। पंजाब में लंबे समय से हाशिए पर बैठे टकसाली कांग्रेसी जहां अब सामने आ गए हैं वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह व सुनील जाखड़ से नाराज चल रहे कांग्रेसियों को भी सिद्धू के रूप में नया विकल्प मिल गया है।

नवजोत सिद्धू पंजाब कांग्रेस प्रधान बनने के बाद से ही आक्रामक रुख अपनाए हुए हैं। ताजपोशी के बाद से ही सिद्धू लगातार पंजाब में अपनी ही पार्टी की सरकार को घेर रहे हैं। पंजाब में वर्ष 2017 के दौरान हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कैप्टन अमरिंदर सिंह ने गुटका साहिब हाथ में लेकर नशा तस्करों के खिलाफ एक माह में कार्रवाई करने समेत कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की थी।

सत्ता में आने के बाद इनमें से किसी भी घोषणा पर ठोस काम नहीं हुआ। जिसके कारण अमरिंदर विपक्षी आम आदमी पार्टी के साथ अपनी पार्टी के नेताओं के निशाने पर आ गए। अब हाल ही में कांग्रेस द्वारा पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन करने के बाद फिर से चुनावी मुद्दे हावी हो गए हैं। पंजाब में विपक्षी दल आम आदमी पार्टी लंबे समय से बिजली के मुद्दे पर सरकार को घेर रही है। पंजाब में महंगी बिजली और इसकी उपलब्धता को लेकर अमरिंदर घिरे हुए थे। दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप सुप्रीमो ने पंजाब में चुनावी पारी शुरू करते हुए पहली गारंटी दिल्ली की तर्ज पर मुफ्त व सस्ती बिजली देने की दी है।

दूसरी तरफ अकाली दल का दावा है कि उसके शासन में पंजाब बिजली उत्पादन भरपूर था। इस बीच कांग्रेस प्रधान नवजोत सिद्धू ने भी अमरिंदर सिंह पर अकाली सरकार के समय हुए बिजली खरीद समझौते रद्द करने को लेकर दबाव बनाया। जिसके कारण दबाव में आए अमरिंदर ने मजबूरन पिछली अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए बिजली खरीद समझौतों को रद्द करने और नए सिरे से समीक्षा करने के आदेश जारी कर दिए हैं। बिजली समझौते रद्द किए जाने के बाद अमरिंदर सिंह तो चुप हैं लेकिन आम आदमी पार्टी और नवजोत सिद्धू इसे अपनी जीत करार दे रहे हैं। सिद्धू के दबाव में किए गए इस फैसले ने विपक्षी दलों से बड़ा मुद्दा छीन लिया है।

पंजाब में सरकारी कर्मचारी जहां अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं, वहीं कच्चे कर्मचारी अमरिंदर को चुनाव के समय पक्का किए जाने का वादा याद दिलाते हुए धरने दे रहे हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने कर्मचारियों का समर्थन करते हुए अमरिंदर को लिखे पत्र में उन्हें पक्का करने की मांग उठाई। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की इस मांग को पूरा करते हुए कैबिनेट कमेटी का गठन कर दिया है। जिसकी बैठक में सभी विभागों के कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने के बाद में फैसला किया जाएगा।

अपनी ही सरकार को मुश्किल में डाल रहे नवजोत सिद्धू जहां कांग्रेस आलाकमान द्वारा दिए गए 18 सूत्रीय एजंडे को लागू करवाने के लिए सक्रिय हो गए हैं वहीं उन्होंने अमरिंदर सरकार दलितों के हित में बड़ा फैसला करने, विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर राज्य स्तर पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर चुके हैं। जिसके कारण अमरिंदर को मजबूरी में आगामी सत्र के दौरान दलित कल्याण बिल पास करने का ऐलान करना पड़ गया है।अब नवजोत सिद्धू गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने, मादक पदार्थ तस्करी के मामले में एसटीएफ की पहली रिपोर्ट में आरोपी करार दिए गए नशा कारोबार के सरगना के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं। सिद्धू की इस मांग को लेकर अमरिंदर सिंह दुविधा में फंसे हुए हैं। जिस पर आने वाले दिनों में फैसला लिया जाएगा।

बहरहाल नवजोत सिद्धू जिन मुद्दों को उठा रहे हैं उन मुद्दों पर अमरिंदर सिंह बुरी तरह से घिर गए हैं। अमरिंदर सिंह अगर सकारात्मक कार्रवाई करते हैं तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं व पंजाब की जनता के सामने नवजोत सिद्धू मजबूत हो जाएंगे और विपक्ष के हाथों से मुद्दे निकलने से सिद्धू को मजबूती मिल रही है। अमरिंदर अगर कार्रवाई नहीं करते हैं तो विपक्ष के साथ उन्हें अपनी ही पार्टी के प्रधान के निशाने पर आना पड़ सकता है। पांच साल पहले चुनाव के समय किए गए वादों को साढ़े चार साल तक पूरा नहीं करने और अब कांग्रेस प्रधान के दबाव में पूरा करने को लेकर अमरिंदर सिंह दबाव में हैं।