Bihar News: जन सुराज पार्टी (JSP) के संस्थापक प्रशांत किशोर ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी उन सीटों पर मुसलमान प्रत्याशी को नहीं उतारेगी, जहां राजद के उम्मीदवार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। उन्होंने तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाली पार्टी से भी इसी तरह की प्रतिबद्धता की मांग की।
गया में प्रशांत किशोर ने मुस्लिम वोटों के बंटवारे पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “अगर राजद को मुसलमानों की इतनी चिंता है, तो उन्हें घोषणा करनी चाहिए कि वे उन सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारेंगे, जहां हम मुस्लिम उम्मीदवार उतारते हैं। मैंने एकतरफा घोषणा की है कि जेएसपी, राजद के मुस्लिम उम्मीदवारों के खिलाफ मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारेगी। अगर राजद सचमुच भाजपा को हराना चाहती है , तो उन्हें ऐसा करने दीजिए।”
जेएसपी ने पहले घोषणा की थी कि वह मुस्लिम और अति पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को उनकी आबादी के अनुपात में मैदान में उतारेगी। बिहार की आबादी में मुसलमानों की हिस्सेदारी लगभग 17% है, जिनमें किशनगंज, अररिया, कटिहार और पूर्णिया में उनकी संख्या ज़्यादा है। जबकि दरभंगा, मधुबनी, रोहतास, नालंदा, पटना, मुंगेर और भागलपुर में भी उनकी अच्छी-खासी संख्या है। राज्य की कुल आबादी में अति पिछड़े वर्ग की आबादी 36 प्रतिशत है, जिसमें 10.5 प्रतिशत मुसलमान शामिल हैं।
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हालांकि, राजद के एक प्रवक्ता ने कहा, “हमारा शीर्ष नेतृत्व उस पार्टी को ज़्यादा महत्व नहीं देता जो किसी न किसी बहाने ध्यान खींचने की कोशिश करती है।” तेजस्वी यादव ने हाल ही में कहा था, “ऐसी पार्टी के बारे में बहुत ज़्यादा चर्चा हो चुकी है जिसका कोई सांसद या विधायक नहीं है।”
इससे पहले राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा को लेकर प्रशांत किशोर ने कहा था कि इसे यात्रा कहना सरासर गलत होगा। मीडिया उन्हें इसलिए ज्यादा तवज्जो देता है, क्योंकि वे एक पूर्व प्रधानमंत्री के बेटे हैं। मैं तीन साल से बिहार के कोने-कोने में घूम रहा हूं, लेकिन ज्यादातर लोग इस बारे में बात नहीं करते हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि चाहे राहुल गांधी वोट चोरी की बात करें या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह घुसपैठिया की बात करें , बात ये है कि इनमें से कोई भी बिहार, राज्य से पलायन, बेरोज़गारी या शिक्षा की स्थिति के बारे में बात नहीं कर रहा है।
प्रशांत किशोर जो एसआईआर अभ्यास और कांग्रेस-राजद गठबंधन की हालिया वोटर अधिकार यात्रा के बीच गति खो चुके थे, चुनावों के मद्देनजर ध्यान आकर्षित करने के लिए नए सिरे से प्रयास कर रहे हैं।
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