मनोज कुमार मिश्र
दिल्ली के मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार का छह महीने का सेवा विस्तार यूं ही नहीं हुआ। इस सेवा विस्तार का दूरगामी असर होने वाला है। यह तो तय सा हो गया कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक वे ही दिल्ली के मुख्य सचिव रहेंगे। इतना ही नहीं दिल्ली के आबकारी घोटाले में आप के दो बड़े नेताओं-पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया और राज्य सभा सदस्य संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी भी इसी दौरान होने की संभावना जताई जा रही है।
मुख्य सचिव के सेवा विस्तार का दिल्ली की आप सरकार ने भरपूर विरोध किया। मामला सुप्रीम कोर्ट गया। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद सेवा विस्तार पर मुहर लगी। दिल्ली सरकार ने तो पिछले साल 20 अप्रैल को मुख्य सचिव बने नरेश कुमार को भ्रष्ट साबित करके मुख्य सचिव पद से हटवाने और उनके खिलाफ कार्रवाई करवाने के हर प्रयास किए। केंद्र सरकार ने नई परंपरा डालते हुए मुख्य सचिव का सेवा विस्तार किया है।
कुछ साल पहले एक वरिष्ठ आइएएस अधिकारी राजेंद्र कुमार आप सरकार के इस कदर प्रिय हो गए थे कि एक तरह से सारे प्रशासनिक अधिकार ही उन्हें सौंप दिए गए थे। कभी वे भाजपा और कांग्रेस के भी प्रिय थे। उनकी छवि बेहद ईमानदार अधिकारी की थी। उन पर न केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगे बल्कि उनपर सीबीआई का छापा पड़ा। उन्हें जेल हुई। उनका प्रशासनिक करिअर बर्बाद हो गया।
आप और उसके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं लेकिन इस आबकारी (शराब) घोटाले ने न केवल आप के ईमानदार होने की छवि को ध्वस्त किया बल्कि उसके वजूद को ही हिला के रख दिया। शराब घोटाले की पटकथा ही नरेश कुमार की लिखी हुई है। वैसे अभी घोटाले की कई जानकारी सार्वजनिक नहीं हुई है लेकिन इसके तार हैदराबाद समेत कई और जगह जुड़े होने के पुख्ता सबूत जांच एजंसियों को मिल गए हैं।
तभी वह बड़े नेताओं पर हाथ डाल रही है। कहा जा रहे है कि इससे तेलंगाना चुनाव के समीकरण बदल गए। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गिरफ्तारी की तलवार लटकने के बाद तो आप के वजूद पर ही सवाल उठने लगे हैं। केजरीवाल की गिरफ्तारी के आशंका से डरी आप गिरफ्तारी के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखने का अभियान चला रही है।
वहीं केंद्र सरकार दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के माध्यम से आप सरकार के खिलाफ उन्हें भ्रष्ट साबित करने का एक तरह से अभियान ही चलाती दिख रही है। आप सरकार ने इस पूरे अभियान में उप राज्यपाल को मुख्य सचिव नरेश कुमार का साथ मिला। जो हालात है उसमें तो यही लग रहा है कि आप सरकार का अगला कुछ महीना बहुत कठिन साबित होने वाला है। दिल्ली सरकार के एक आला अधिकारी बताते हैं कि दिल्ली में विधानसभा बनने के बाद अब तक जितनी जांचे नहीं हुई होगी उतनी पिछले डेढ़ साल में हो गई। अधिकारियों का सेवा विस्तार कोई बड़ी घटना नहीं है लेकिन दिल्ली के लिए बड़ी घटना है।
दिल्ली सरकार के अधिकारों पर पहली बार एक पत्र लिखकर भूचाल लाने वाले वरिष्ठ अधिकारी रमेश चन्द्रा को मुख्यमंत्री रही शीला दीक्षित ने बतौर प्रमुख सचिव वित्त रहते केंद्रीय गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी के बजाय सीधे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से महज तीन महीने का सेवा विस्तार कराया तो दिल्ली में हंगामा मच गया।
दिल्ली में विधानसभा बन जाने के बावजूद दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश है। दिल्ली के आला अधिकारियों के तबादलों और नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास होने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद यह विवाद कम हो गया लेकिन वास्तव में ज्यादातर अधिकारी आप सरकार की सुनते ही नहीं।
इतना ही नहीं जिन अधिकारियों को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुख्य सचिव बनवाया, उनमें से नवंबर 2018 में मुख्य सचिव बने विजय कुमार देव के अलावा हर मुख्य सचिव से सरकार की लड़ाई होती रही। पहली बार सरकार बनने पर तब के मुख्य सचिव डीएम स्पोलिया को हटवाकर एस के श्रीवास्तव को मुख्य सचिव बनवाया। दोबारा 2015 में सरकार में आने पर वापस स्पोलिया को मुख्य सचिव बनवाया।
उनके रिटायर होने पर गोवा के मुख्य सचिव रहे के के शर्मा को वहां से बुलाकर मुख्य सचिव बनवाया गया। थोड़े ही दिन में उनके पास फाइल भेजना बंद हो गया। उसके बाद बने एम एम कुट्टी को अपने अधिकार के लिए अदालत की शरण में जाना पड़ा। उनका आरोप था कि उन्हें विधानसभा की कमेटियों की बैठक में बुलाकर प्रताड़ित किया जा रहा है।
उसके बाद के अंशु प्रकाश ने तो आरोप ही लगाया कि उन्हें 20 फरवरी 2018 को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में उनके सरकारी निवास पर आप विधायकों ने मारा। इस पर पुलिस के आरोप पत्र आने के बाद स्थानीय अदालत का फैसला आ गया, जिसमें रात में मुख्यमंत्री के घर बैठक बुलाने को अदालत ने गलत नहीं माना। अदालत मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री को आरोप मुक्त कर दिया केवल दो विधायकों को दोषी माना। आप सरकार का आरोप है कि केंद्र की सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है और अधिकारियों के माध्यम से उप राज्यपाल सरकार के काम में अडंगा लगाते हैं। अब तो मौजूदा मुख्य सचिव नरेश कुमार से तो आप की आर- पार की लड़ाई चल रहे है।