Bombay High Court: बाला साहब ठाकरे का अखबार छापने वाले एक परिवार ने बुधवार (19 अक्टूबर, 2022) को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है। दायर याचिका में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि और दो बेटों आदित्य और तेजस की संपत्ति की सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की गई है।
आपराधिक जनहित याचिका गौरी (38) और अभय भिड़े (78) द्वारा दायर की गई है, जिनके परिवार ने आपातकाल के दौरान शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के अखबार को छापा था। याचिकाकर्ता गौरी ने कहा कि वो ‘न खाऊंगा न खाने दूंगा’ के आदर्श वाक्य से प्रेरित हैं। न्यायमूर्ति संजय गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति आरएन लड्ढा की पीठ ने मामले को 16 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है।
भिड़े कई वर्षों से सैनिकों के गढ़ दादर के निवासी हैं। उनकी याचिका महाराष्ट्र सरकार के स्वामित्व वाले सिडको द्वारा ट्रस्ट प्रबोधन प्रकाशन (सामना अखबार के मालिक और प्रकाशक) के लिए दिए गए भूमि भूखंडों के बारे में सवाल उठाती है।
याचिका में कहा गया कि ट्रस्ट की हिस्सेदारी बदल दी गई और अंततः ठाकरे के स्वामित्व में आ गई। इसमें कहा गया कि कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान ठाकरे की कंपनी प्रबोधन प्रकाशन प्रा. लिमिटेड ने 42 करोड़ रुपये के कारोबार और 11.5 करोड़ रुपये के लाभ का शानदार प्रदर्शन दिखाया। याचिकाकर्ता इसे काले धन को सफेद धन में बदलने का स्पष्ट मामला कहते हैं। याचिकाकर्ता का यह भी मानना है कि भाजपा नेता किरीट सोमैया या दोनों एजेंसियों के पास ठाकरे परिवार से संबंधित बड़ी जानकारी और लिंक होने चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह काले धन को सफेद करने का स्पष्ट मामला है। बीएमसी और अन्य सोर्स से इकट्ठा किए गए बेहिसाब धन को उपरोक्त कंपनी के खातों में बेईमानी से गबन किया गया और लाभ के झूठे आंकड़े दिखाए गए। यह सिर्फ अनुमान या निराधार आरोप नहीं है। इन कंपनियों के खातों के विवरण स्पष्ट रूप से तथ्य प्रकट करेंगे। ये संपत्ति मुख्य रूप से बेनामी लेनदेन हैं।
अपीलकर्ता के मुताबिक, ‘उद्धव, आदित्य और रश्मि ने कभी भी अपनी आय के आधिकारिक सोर्स के रूप में किसी विशेष सेवा, पेशे और व्यवसाय का खुलासा नहीं किया, फिर भी उनके पास मुंबई जैसे मेट्रो शहर और रायगढ़ जिले में बड़ी संपत्ति है, जो करोड़ों में हो सकती है’।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि उन प्रदर्शनों से यह स्पष्ट होगा कि किसी भी राजनीतिक दल में आधिकारिक पद धारण करना आय का कानूनी स्रोत नहीं हो सकता है। इसी तरह किसी भी राज्य में मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री के संवैधानिक पदों पर रहना भी आय का स्रोत नहीं है।
भिड़े का दावा है कि ठाकरे ने मार्मिक पत्रिका और समाचार पत्र सामना भी प्रकाशित किया लेकिन वे ऑडिट ब्यूरो ऑफ सर्कुलेशन द्वारा कभी भी ऑडिट के अधीन नहीं रहे और कोई भी उनके प्रिंट ऑर्डर को नहीं जानता।
याचिका में तर्क दिया गया कि चूंकि मार्मिक और सामना अपनी असाधारण जीवन शैली को देखते हुए परिवार के लिए रोटी-मक्खन और धन कमाने वाला नहीं हो सकता, उनके राजनीतिक संगठन यानी शिवसेना और उसके नगरसेवक और विशेष रूप से बीएमसी की स्थायी और सुधार समितियों के अध्यक्ष धन बनाने का उनका एकमात्र माध्यम है।
भिड़े का दावा है कि उनकी शिकायत 11 जुलाई, 2022 को पुलिस आयुक्त को भेजी गई और EOW को भेज दी गई, लेकिन कोई एक्शन नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट से केंद्र, ईडी और सीबीआई को मुंबई पुलिस में दायर उसकी शिकायत का संज्ञान लेने और जांच अपने हाथ में लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया। इसके अलावा, मासिक आधार पर बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जांच की निगरानी कराने के लिए कहा गया।