अमलेश राजू
सीबीएसई के 10वीं और 12वीं के पेपर लीक मामले में पुलिस की जांच दिल्ली और हरियाणा के सौ कोचिंग सेंटर्स पर टिकी हुई है। पुलिस के रडार पर वे कोचिंग संस्थान भी हैं जहां से छात्रों को वाट्सऐप के जरिए प्रश्नोत्तर का आदान प्रदान होता है। शुरुआती जांच में सीबीएसई के अधिकारी पुलिस की मदद कर रहे हैं। फिलहाल पुलिस ने सीबीएसई से संबंधित विभागीय अधिकारियों और कर्मचारी को भी क्लीन चीट नहीं दी है। जांच का दायरा विस्तृत है लिहाजा किसी को भी जरूरत पड़ने बुलाने के लिए एसआइटी को खुली छूट दी गई है।
बाहरी दिल्ली की एक छोटी सी जगह बवाना के एक कोचिंग सेंटर ‘इजी क्लासेज’ के तौकीर (26) ने दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को लीक मामले का सुराग दिया है। पुलिस की माने तो तौकीर अत्याधुनिक तकनीक से पर्चा लीक कराने का मास्टरमाइंड है। उसने जिस तरह अपने दो साथी शिक्षकों रोहित और ऋषभ के साथ मिलकर पर्चा लीक कराया उससे पुलिस पशोपेश में है। कितने रुपए में पूरा सौदा तय हुआ और कितने छात्रों को यह पेपर बांटे गए इसका खुलासा करना पुलिस के लिए मुश्किल भरा है। चूंकि एक वाट्सऐप ग्रुप से जुड़े कोई सदस्य दूसरे, तीसरे और चौथे और पांचवें नहीं बल्कि कई ग्रुपों के सदस्य हो सकते हैं।
झारखंड के चतरा से भी दर्जन भर लोग गिरफ्तार हुए पर उनके लिंक कहां से हैं इसका खुलासा अभी तक नहीं हो पाया है। रविवार तड़के जिन तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है वे अर्थशास्त्र के पेपर लीक के आरोपी हैं। उन्होंने 9.45 की जगह नौ बजे प्रश्न पत्र खोलकर उसकी सामग्री को वाट्सऐप पर शेयर किया था। गणित के पेपर लीक मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।