किसान आंदोलन को विदेशी सिलेब्रिटीज का समर्थन मिलने के बाद भारत के करीब दर्जनभर अभिनेता और खिलाड़ी देश के मामले को आंतरिक स्तर पर सुलझाने का ट्वीट कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर ने भारत के मामलों में विदेशियों के हस्तक्षेप का विरोध किया था। जिन लोगों ने ट्वीट किया था, उनमें एक नाम क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का भी रहा। हालांकि, सोशल मीडिया पर लोगों ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया। अब इस मामले पर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने सचिन को सलाह दी है।

सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसी हस्तियों की ओर से किसान आंदोलन के संबंध में प्रतिक्रिया दिए जाने के सवाल पर पवार ने कहा कि लोगों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं सचिन तेंदुलकर को सुझाव दूंगा कि उन्हें अन्य क्षेत्रों से जुड़े मुद्दों पर बयान देने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए।’’

पवार ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार किसानों को खालिस्तानी और आतंकवादी कहकर आंदोलन को बदनाम कर रही है। पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा, ‘‘ ये प्रदर्शनकारी किसान हैं जोकि हमारे देश का पेट भरते हैं। इसलएि, इन्हें खालिस्तानी या आतंकवादी कहना उचित नहीं है।’’

ठाकरे बोले- सचिन को ट्वीट के लिए उतारना गलत: उधर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को आंदोलनरत किसानों के समर्थन में ट्वीट करने वाली विदेशी हस्तियों पर पलटवार के लिए चलाए गए अपने अभियान में लता मंगेशकर और सचिन तेंदुलकर को नहीं उतारना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा, ‘‘सरकार को अपने अभियान के लिए अक्षय कुमार जैसे अभिनेताओं का उपयोग ही सीमित रखाना चाहिए।”

ठाकरे ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान मोदी की ह्यूस्टन रैली को हवाला देते हुए कहा, ‘‘ इस आधार पर, अमेरिका में ‘अगली बार, ट्रंप सरकार’ जैसी रैली करने की कोई आवश्यकता नहीं थी। यह उस देश का आंतरिक मामला था।’’

सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुए थे सचिन के ट्वीट: बता दें कि अमेरिकी गायिका रिहाना और पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित कुछ विदेशी शख्सियतों के प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में ट्वीट के बाद तेंदुलकर और प्रख्यात गायिका लता मंगेशकर सहित विभिन्न हस्तियों ने सोशल मीडिया पर ‘‘इंडिया टुगेदर’’ और ‘‘इंडिया अगेन्स्ड प्रोपेगंडा’’ हैश टैग से सरकार के रुख के समर्थन में ट्वीट किए थे।