कोरोनावायरस के खतरे के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी ने करीब 15 दिन पहले देशभर में लॉकडाउन का ऐलान कर दिया था। इससे जहां एक तरफ लोगों के लिए घरों से बाहर निकल कर खरीदारी करना मुश्किल हो गया, वहीं इन सामान को शहरों तक पहुंचाने वाले ट्रक ड्राइवरों के लिए भी स्थितियां खराब हो गईं। दरअसल, लॉकडाउन के ऐलान के बाद सरकार ने साफ किया था कि शहरों में अब सिर्फ वही वाहन जाएंगे, जो अहम जरूरत के होंगे। मसलन, बीमारों को लाने-ले जाने के लिए बसें, एंबुलेंस, पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को लॉकडाउन के प्रतिबंधों से छूट दी गई। इसके अलावा जरूरत के सामान पहुंचाने वाले ट्रकों की आवाजाही भी जारी रखी गई, ताकि लोगों को राशन और खाने का अन्य सामान समय पर मिलता रहे।
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हालांकि, इस बीच उन ट्रक ड्राइवरों की स्थिति लगातार खराब हो रही है, जो अपने सामान के साथ ही किसी शहर में एंट्री न मिलने की वजह से जहां-तहां हाईवे पर फंस गए हैं। ऐसी ही कहानी है ट्रक चालक कन्हैया कुमार की,जो कि लॉकडाउन के बाद से ही सतारा के वई स्थित बंद पड़े ओम पंचरत्न ढाबे के पास रहने के लिए मजबूर हैं। जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया, तब कन्हैया अपने साथी हरप्रीत सिंह के साथ बेंगलुरु से पुणे जा रहे थे। प्रतिबंधों के चलते उनका ट्रक पुणे से 85 किमी दूर वइ में ही फंस गया। तब से लेकर अब तक कन्हैया यहां खाली पड़े ढाबे में ही फंसे हैं।
कन्हैया ऐसे अकेले नहीं हैं, जो इस समस्या का सामना कर रहे हैं, कई और ट्रक वाले भी इसी तरह ढाबों और पेट्रोल पंपों पर फंसे हैं, जहां उनका राशन खत्म होता जा रहा है। ढाबों के बंद होने की वजह से उन्हें खाने-पीने का सामान मिलना भी नामुमकिन साबित हो रहा है।
कन्हैया की तरह ही राणा प्रताप भी उन ट्रक ड्राइवरों में से हैं, जो लॉकडाउन की वजह से ढाबे पर फंसे हैं। राणा के मुताबिक, जब भी उन्होंने कहीं जाने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें रोक लिया। जब उनसे पूछा गया कि सरकार ट्रक ड्राइवरों के लिए रहने की व्यवस्था क्यों नहीं कर रही, तो राणा ने कहा, “अब तो भूख से मरने की स्थिति है।”
पुलिस की गाड़ियां उन्हें टोल नाके से ही वापस भेजने की कोशिश करती हैं। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष बाल मलकीत सिंह के मुताबिक, लॉकडाउन में सिर्फ अहम सेवाओं को ही शहरों में आने की अनुमति है। ऐसे में जो ट्रक अपना सामान उतारकर वापस लौट रहे हैं, उन्हें भी यात्रा के दौरान जहां-तहां रोक लिया जा रहा है। इसके चलते जहां कई ट्रक ड्राइवर अपने ट्रकों को छोड़कर जा चुके हैं, वहीं कन्हैया जैसे ड्राइवर (जिनके ट्रक में करीब 40 मोटरसाइकिल हैं) ने ट्रक के करीब ही रहने का फैसला किया है। इस स्थिति में वे सिर्फ मोबाइल पर न्यूज देखकर और पैसे गिनकर ही समय काटने पर मजबूर हैं।
