बिहार में लालू-नीतीश के महागठबंधन (कांग्रेस सहित) को सरकार चलाते छह महीने हो गए हैं। नवंबर, 2015 में राजद की विशाल जीत के साथ जब गठबंधन की सरकार बनी थी, तब कई लोग कह रहे थे कि यह साथ ज्‍यादा लंबा नहींं चलेगा। पर छह महीने बाद गठबंधन का जोड़ कैसा है? इसका अंदाज राघोपुर आकर मिलता है। राघोपुर वैशाली जिले में यादवों का गढ़ है। अभी यह लालू के बेटे और बिहार के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव का विधानसभा क्षेत्र है। इससे पहले लालू और उनकी पत्‍नी राबड़ी देवी भी यहां से विधायक रह चुकी हैं। यहां के यादव इस बात के लिए लालू को याद करते हैं कि उनकी बदौलत उन्‍हें एक आवाज मिली। पर अब वे तेजस्‍वी को सलाह भी देते हैं। सलाह यह है कि नीतीश से सीखो।

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राघोपुर के लोगों का मानना है कि केवल आवाज होना ही काफी नहीं है, शासन चलाने का विजन भी होना चाहिए। वे नीतीश की उपलब्धियों की खूब तारीफ करते हैं। और शराबबंदी के नीतीश सरकार के ताजा फैसले की तो भरपूर तारीफ हो रही हैै। तेजस्‍वी यादव के लिए आगे परीक्षा की घड़ी आने वाली है। यह परीक्षा एक पुल के निर्माण को लेकर है। राघोपुर को जोड़ने वाले अस्‍थायी पुल को पक्‍का कराने का वादा उन्‍होंने किया है। इस पुल का शिलान्‍यास नीतीश पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले ही कर चुके हैं। तेजस्‍वी ने चुनाव में यह काम पूरा करवाने का वादा किया है। पर मौसम की वजह से काम आगे नहीं बढ़ पाया है।

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राघोपुर में चाय की दुकान पर शराबबंदी पर हो रही चर्चा में मैंने पाया कि हर कोई इसके समर्थन में था। लेकिन लालू के योगदान का जिक्र किए बिना यहांं राजनीतिक चर्चा की शुरुआत नहीं हो सकती। हाल ही में रिटायर हुए स्‍कूल के एक शिक्षक, जवाहर राय कहते हैं- लालूजी से पहले यहां कुछ नहीं था। आप जो भी देख रहे हैं, उन्‍हीं की देन है। बिजली, सड़क, पीपा पुल…सब कुछ। लेकिन यह तो चर्चा की शुरुआत भर है। इसे आगे बढ़ाते हुए किसान मैनेजर राय कहते हैं, ‘नीतीश 3 में हम उतने उत्‍तेजित नहीं हैं, जितने नीतीश 1 और नीतीश 2 में थे। पहले यादव ब्‍लॉक दफ्तर में बेधड़क घुस जाते थे। पर अब प्रशासन हमारी नहीं सुनता, क्‍योंकि नीतीश जी ने साफ कर दिया है कि हर कोई अपनी सीमा में रहे।’ हालांकि, मैनेजर राय इसे अच्‍छा ही मानते हैं।

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एक और ग्रामीण अवधेश राय तेजस्‍वी राय के सीएम बनने की बात करते हुए कहते हैं, ‘अगर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनते हैं तो तेजस्‍वी के सीएम बनने में क्‍या हर्ज है? जब राबड़ी देवी बन सकती हैं तो वह क्‍यों नहीं?’ लेकिन बगल के रामपुर-श्‍यामचंद गांव के धरम राय की राय थोड़ी अलग है। उन्‍होंने कहा, ‘मैं मुखिया चुना जाऊं और काम नहीं करूं तो क्‍या मैा दूसरी बार चुने जाने की उम्‍मीद कर सकता हूं?’ पंक्‍चर मरम्‍मत करने की दुकान चलाने वाले उमा शंकर राय की सुनिए। वह कहते हैं- तेजस्‍वी पढ़े-लिखे नहीं हैं, पर वह अपनी मां राबड़ी देवी की तरह पिता के कहने पर ही चलने वाले नहीं हैं। उनकी सोच अलग है। अब यह उन पर है कि अपना भविष्‍य बनाते हैं या‍ बिगाड़ते हैं। पर अगर वह अच्‍छा भी करते हैं, तो इसका श्रेय लालू से ज्‍यादा नीतीश को जाएगा।’

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लोकसभा चुनाव में बतौर पीएम उम्‍मीदवार नरेंद्र मोदी के लिए वोट करने वाले युवा मनोज कुमार का कहना है कि तेजस्‍वी को नीतीश की तरह काम करना होगा। और इस इलाके के लोगों की नजर में अभी सबसे बड़ा काम पुल का निर्माण है। इस पर राघोपुर के यादव और राजपूत सभी एक मत हैं। कामेश्‍वर यादव साफ कहते हैं, ‘अगर पुल नहीं बना तो यहां लालू के बेटे भी वैसे नकार दिए जाएंगे, जैसे लालू नकारे जा चुके हैं। ‘