हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा की मांग को स्वीकार करते हुए कांग्रेस ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस प्रमुख कुमारी शैलजा को हटा दिया और हुड्डा के वफादार माने जाने वाले चार बार के विधायक उदय भान को मुखिया नियुक्त कर दिया। अब कांग्रेस विधायक दल के नेता हुड्डा हैं और उनके वफादार पीसीसी प्रमुख है, इससे हुड्डा का राज्य में पार्टी पर एक तरह से पूरा नियंत्रण हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री होने के नाते हुड्डा जी-23 खेमे की प्रमुख आवाजों में शामिल रहे हैं।

हालांकि इस फेरबदल से राज्य कांग्रेस में फिर हलचल तेज हो गई है। पार्टी के इस फैसले पर कई लोग नाराजगी जता रहे हैं। हरियाणा कांग्रेस में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए कड़ी पैरवी करने के बावजूद, पार्टी के वरिष्ठ विधायक कुलदीप बिश्नोई को बुधवार को पार्टी नेतृत्व द्वारा किए गए बदलाव में कोई स्थान नहीं मिला। वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई ने कहा है कि फैसला अनुचित है। वह इस बारे में राहुल गांधी से बात करेंगे। ट्विटर पर अपने समर्थकों के गुस्से भरे संदेशों को देखने के बाद उन्होंने लिखा, “साथियों, आप सबके संदेश सोशल मीडिया पर पढ़ रहा हूँ। आपका अपार प्यार देख कर मैं अत्यंत भावुक हूँ। आपकी तरह ग़ुस्सा मुझे भी बहुत है। लेकिन मेरी सब से प्रार्थना है कि जब तक मैं राहुल जी से जवाब ना मांग लूं, हमें कोई कदम नहीं उठाना है। अगर मेरे प्रति आपके मन में स्नेह है तो संयम रखें।”

प्रदेश अध्यक्ष बनने की दौड़ में पहले कुलदीप बिश्नोई का भी नाम था। इसके लिए वह और उनके समर्थक जोरदार पैरवी कर रहे थे, कुलदीप बिश्नोई इस सिलसिले में पिछले कुछ दिनों में कई बार राहुल गांधी से भी मिल चुके हैं, लेकिन अध्यक्ष के पद पर हुड्डा गुट भारी पड़ गया और उनके नजदीकी उदयभान को राज्य का मुखिया बना दिया गया। इस नियुक्ति पर कुलदीप बिश्नोई ने गंभीर नाराजगी जताते हुए कहा है कि वह इसको लेकर राहुल गांधी से भी मुलाकात करेंगे। सूत्रों का कहना है कि अब राज्य में हुड्डा गुट का प्रभाव पार्टी पर बढ़ेगा।

आदमपुर के विधायक बिश्नोई कई दिनों से कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से अपनी गहन पैरवी की कवायद के तहत मुलाकात कर रहे थे। 26 अप्रैल को, उन्होंने दिल्ली में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के महासचिव केसी वेणुगुपाल से मुलाकात की। उन्होंने 24 अप्रैल को एआईसीसी की वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की। हालांकि उन्होंने उनके विवरण का खुलासा नहीं किया, वेणुगोपाल से मुलाकात के बाद बिश्नोई ने कहा कि वह “जो चर्चा हुई उससे संतुष्ट थे” और “बैठक सकारात्मक थी।”

पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के बेटे बिश्नोई की नजर लंबे समय से हरियाणा कांग्रेस में अहम पद पर है। खुद को एक गैर-जाट नेता के रूप में पेश करते हुए, वह एक ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के विधायक होने के बजाय एक राज्य के नेता के रूप में उभरने का प्रयास कर रहे हैं, जिसे उनके परिवार के लिए वह क्षेत्र माना जाता है, जहां से शीर्ष पद पर कोई न कोई जाता ही है। 1968 के बाद से उनके परिवार के सदस्यों में कोई भी यहां से चुनाव नहीं हारा है। भजन ने आदमपुर सीट नौ बार और उनकी पत्नी जसमा देवी ने एक बार जीती थी, जबकि बिश्नोई ने दो बार और उनकी पत्नी रेणुका ने एक बार जीत हासिल की थी।