हेट स्पीच पर भाजपा नेताओं के खिलाफ केस दर्ज करने को लेकर दायर माकपा नेता वृंदा करात की याचिका को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। वृंदा करात ने आरोप लगाया था कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा सांसद प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने साल 2020 में हेट स्पीच दी थी। इसके लिए उन्होंने दोनों नेताओं के खिलाफ केस दर्ज कराया जाए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बहाल रखा है।

हालांकि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हेट स्पीच देने वाले नेताओं-धर्मगुरुओं पर सरकार सख्त कार्रवाई करे। करात ने याचिका के माध्यम से दिल्ली पुलिस को अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ धारा 153 ए 153 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की थी।

करात ने अक्टूबर 2021 में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसने इस आधार पर उनकी याचिका को खारिज कर दिया था कि मामले में अपेक्षित मंजूरी नहीं ली गई। ट्रायल कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि केस दर्ज करने के के लिए सीआरपीसी की धारा 196 के अनुसार केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक है। दोनों संसद सदस्य हैं। लिहाजा केंद्र की मंजूरी के बगैर केस दर्ज नहीं कराया जा सकता है। 26 अगस्त, 2020 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने वृंदा करात की याचिका खारिज कर दिया था। ट्रायल कोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ वृंदा करात ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान अनुराग ठाकुर ने एक जनसभा में नारेबाजी करवाई थी। उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों को देश का गद्दार बताते हुए नारा लगवाया था कि ‘देश के गद्दारों को गोली मारो…को। बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने शाहीन बाग की तुलना कश्मीर की स्थिति से की थी।

परवेश ने कहा था कि शाहीन बाग में जो लाखों लोग हैं वो एक दिन आपके घर में घुस जाएंगे, मां-बहनों का रेप करेंगे और लूटेंगे। दोनों के बयानों पर चुनाव आयोग ने एक्शन लिया था। पहले तो दोनों को भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची से हटाने का आदेश दिया था। बाद में अनुराग ठाकुर पर 72 घंटे और परवेश वर्मा पर 96 घंटे तक चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी थी।