इसलिए जनप्रतिनिधि कुछ न कुछ ऐसा करते रहते हैं जिससे जनता का भला हो। लेकिन एक नेता की सेवा दूसरे को रास न आए यह अमूमन विपक्षी पार्टी में दिखता है। लेकिन भाजपा में टकराव इस हद तक पहुंच गया है कि सांसद की योजना की शिकायत विधायक ने उपराज्यपाल से कर दी। हाल ही में ही पूर्वी दिल्ली के सांसद ने कचरे के ढलावों की जगह पर पुस्तकालय, रसोई जैसी योजनाओं की शुरुआत की है। यह शुरुआत पार्टी के कुछ नेताओं को ही रास नहीं आ रही है।
इस वजह से इन स्थलों के आबंटन को लेकर पार्टी के भीतर ही कलह शुरू हो गई है। यह कलह इतनी अधिक बढ़ गई है कि गांधी नगर से भाजपा के विधायक ने अपनी ही पार्टी के सांसद के खिलाफ उपराज्यपाल को शिकायत भेज दी है और मामले में जमीन आबंटन को लेकर जांच कराए जाने की मांग की है। तर्क दिया है कि सरकारी जमीन को किस प्रकार किसी भी गैर सरकारी संस्था को प्रयोग के लिए सौंपा जा सकता है। अब इसे क्या कहा जाए।
बाहर आई सूचना
राजधानी की सुरक्षा की जिम्मेदारी जिस विभाग के कंधों पर है उस विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी की बेटी से जो हुआ उसे लेकर विभाग में चर्चा जोरों पर है। बेदिल को खबर मिली कि विभाग में इस तरह की चर्चा गर्म है कि अधिकारी ने हरसंभव कोशिश की कि वह वाकया मीडिया को पता न चले।
इसलिए बहुत कोशिश के बाद जब चार दिन बाद यह मामला मीडिया की जानकारी में आया तो खबर छिपाने वाले हाथ मलते रह गए और वरिष्ठ अधिकारियों को कहना पड़ा कि कानून सभी के लिए समान है। हालांकि यह बात भी उड़ी है कि अधिकारी से जिले के वरिष्ठ अधिकारी नाराज हैं और यह बात तब पुख्ता हो गई जब पिछले दिनों अधिकारियों के तबादला की सूची में उक्त अधिकारी का तबादला कर दिया गया।
टांग खिंचाई जारी
अभी लोकसभा चुनाव में काफी समय शेष है, जबकि यूपी के विधानसभा चुनाव अभी कुछ समय पूर्व ही हुए हैं। ऐसे में नेताओं के बीच टिकट दावेदारों की होड़ फिलहाल शांत है लेकिन सत्तारूढ़ दल में खेमेबंदी के कारण नेताओं की टांग खिंचाई या कद उठाने या गिराने का दौर बदस्तूर जारी है। यहां से जुड़े एक सांसद को हाल ही में त्रिपुरा की जिम्मेदारी सौंपी गई है। ऐसे में सांसद कई मर्तबा वहां गए हैं।
इसे उपलब्धि के बजाए जनता से दूर होने के तौर पर उसी दल का विरोधीखेमा लोगों के बीच पहुंचाने की कोशिश में है। पिछले दिनों हुए एक सोसाइटी में बवाल के बाद से सांसद एक समाज के निशाने पर भी आ गए। दीगर है कि लंबे समय से गौतमबुद्ध नगर सांसद को पार्टी की तरफ से कोई अहम जिम्मेदारी नहीं दी गई थी। त्रिपुरा में अगले साल चुनाव है। वहां भाजपा की वापसी अगर हो जाती है तो यह सांसद के कद को बढ़ाने में अहम किरदार निभा सकता है।
-बेदिल