उपराज्यपाल नजीब जंग ने रविवार को छुट्टी के दिन सुबह-सुबह दिल्ली के अस्पतालों का जायजा लिया। उन्होंने डेंगू और चिकनगुनिया जैसी मच्छर जनित बीमारियों के बढ़ते मामलों की स्थिति को जानने के लिए कई अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ स्वास्थ्य सचिव चंद्राकर भारती, अतिरिक्त निदेशक (स्वास्थ्य) डॉ एसएम रहेजा व उपराज्यपाल के सचिव विजय कुमार भी थे। निरीक्षण के दौरान, उपराज्यपाल ने एलएनजेपी अस्पताल, हिंदूराव अस्पताल और जीटीबी अस्पताल के फीवर क्लीनिक का निरीक्षण किया और चिकित्सकों, मरीजों व अन्य आने वाले लोगों से इलाज संबंधी जानकारी ली।
उपराज्यपाल ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल से निरीक्षण शुरू किया जहां उन्होंने फीवर क्लिनिक का निरीक्षण किया।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर जेसी पासी ने उपराज्यपाल को बताया कि चिकनगुनिया व डेंगू के लिए उपलब्ध कुल 200 बिस्तरों में से 76 पर मरीज भर्ती हैं। इस अस्पताल में मुख्य रूप से मध्य दिल्ली के मरीज आते हैं 10 फीसद मरीज पड़ोसी राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश और हरियाणा आदि से आते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अस्पताल समर्पित फीवर क्लीनिक चला रहा है जहां टेस्टिंग किट पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं। साथ ही एक घंटे के अंदर जांच रिपोर्ट तैयार कर दी जाती है। इसके बाद जंग नगर निगम के अस्पताल बाड़ा हिंदूराव पहुंचे। यहां उत्तरी नगर निगम आयुक्त पीके गुप्ता मौजूद थे। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजीत गोयल ने उपराज्यपाल को बताया कि फीवर क्लीनिक 24 घंटे काम कर रहा है और हर दिन लगभग 1000 मरीजों को देख रहा है। गोयल के मुताबिक अस्पताल में 163 चिकनगुनिया और 72 मलेरिया व 50 डेंगू के मामले आ चुके हैं और अस्पताल में एक मरीज की मौत हुई है। डॉक्टर गोयल के अनुसार अस्पताल के स्टॉक में पर्याप्त रक्त मौजूद है।
दिलशाद गार्डन स्थित जीटीबी अस्पताल के निरीक्षण के दौरान उपराज्यपाल ने वयस्कों व बच्चों के लिए अलग-अलग बनाए गए फीवर क्लीनिक की जांच की। अधीक्षक डॉ विनय परवाल ने बताया कि पिछले 24 घंटों में डॉक्टरों ने 788 वयस्क व 148 बच्चों का इलाज किया है। जिसमें 117 यूनिट ब्लड का इस्तेमाल डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया के मरीजों के लिए किया गया। उपराज्यपाल ने डॉक्टरों से बातचीत के बाद कहा कि मरीजों की संख्या ज्यादा होने की वजह से अस्पताल में काफी भीड़ है। उन्होंने सचिव (स्वास्थ्य व परिवार कल्याण) को निर्देश दिया कि अगर जरूरत पड़ती है तो अस्पताल को अतिरिक्त डॉक्टर मुहैया कराए जाएं।
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