राजधानी दिल्ली डेंगू का दंश सालों से झेलता आया है। लेकिन इस बार चिकनगुनिया भी कहर ढा रहा है। जानलेवा नहीं मानी जाने वाले चिकनगुनिया से 24 घंटे में तीन जानें गर्इं। लेकिन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री मंगलवार सुबह गोवा से बयान देते नजर आए। पिछले कुछ दिनों से आधी दिल्ली सरकार बाहर रही है, वहीं बीमारियों से हो रही मौत पर जनता के सवालों के राजनीतिक जवाब दिए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री अरिवंद केजरीवाल इस गंभीर मुद्दे पर सामने तो नहीं आए, लेकिन ट्वीट के जरिए कहा कि मुख्यमंत्री और मंत्रियों के पास एक कलम खरीदने की भी शक्ति नहीं है, उपराज्यपाल और प्रधानमंत्री के पास सारी शक्ति है, उनसे सवाल करें। अन्य मंत्री या तो उपराज्यपाल के देश से बाहर होने पर सवाल कर रहे हैं, या फिर स्वास्थ्य सचिव के छुट्टी पर जाने को मुद्दा बना रहे हैं या निगम को लपेटे में ले रहे हैं। इसी बीच एक लिखित बयान जारी किया जाता है कि दिल्ली की जनता को घबराने की जरूरत नहीं, दिल्ली सरकार की सभी स्वास्थ्य संस्थाएं स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

बीमारी की दहशत में जी रही जनता ने जिस सरकार को बड़ी उम्मीदों के साथ चुना था, उसके मुखिया पिछले कई दिनों से पंजाब की जनता से चुनावी वायदे करने में जुटे थे, वहीं स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन गोवा में पार्टी की राजनीतिक बिसात बिछा रहे थे, तो श्रम मंत्री छत्तीसगढ़ में राजनीतिक जड़ें तलाश रहे हैं। मुख्यमंत्री सोमवार को पंजाब से वापस लौटे लेकिन फिलहाल वे खुद का इलाज करवाने बंगलुरु रवाना हो रहे हैं और जनता के इलाज के लिए सरकारी तैयारियों के आंकड़े परोस दिए गए हैं। स्वास्थ्यमंत्री पिछले चार दिनों से बाहर थे, वो मंगलवार दोपहर बाद दिल्ली पहुंचे और मीडिया को बयान देने के लिए अपने आवास पर बुलाया। इसी बीच दिल्ली में बची हुई आधी सरकार ट्वीटर के जरिए अधिकारों के छिन जाने का अलाप करती रही और उपराज्यपाल पर आरोपों की झड़ी लगाती रही।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सबसे पहले ट्वीट करते हैं, ‘पिछले एक-दो महीने से दिल्ली सरकार के सारे अधिकारी सिर्फ एक काम कर रहे हैं। वो है-एलजी साहब के आदेशों का पालन करते हुए पिछले 18 महीनों की फाइलें पढ़कर उनके पास भेजना। अधिकारी मंत्रियों की मीटिंग में नहीं आते। पूरे-पूरे दिन दफ्तर से गायब रहते हैं। अगर देश में कुछ पत्रकार बचे हैं जो ‘मोदी स्कूल आॅफ जर्नलिज्म’ से बाहर हैं, तो उन्हें यह जरूर तय कर लेना चाहिए कि सरकार कौन है-एलजी या मुख्यमंत्री। अगर ये मानते हैं कि दिल्ली में हर अधिकार एलजी के पास है तो उन्हें एलजी से पूछना चाहिए कि उनका इस तरह के मामलों में कर्तव्य क्या है? नकारा और आरामतलब अफसरों को स्वास्थ्य विभाग का मुखिया बनाकर कहां गायब हो गए एलजी साहब’?इसके बाद इस ट्वीटर जंग में दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा आते हैं, ‘एलजी साहब ने जानबूझ कर पहले हमारा स्वास्थ्य सचिव हटाया, खुद के बनाए स्वास्थ्य सचिव को 15 दिन की छुट्टी पर भेजकर खुद अमेरिका घूमने चले गए।

स्वास्थ्य मंत्रालय में कोई जवाब नहीं दे रहे। नए स्वास्थ्य सचिव तमाम आग्रह के बावजूद स्वास्थ्य मंत्री से नहीं मिलते हैं। बीमारियों की रोकथाम के लिए उत्तरदायी नगर निगमों के दो मेयर देश से बाहर हैं। यह दिल्ली की जनता को सजा देने के लिए यह आपराधिक साजिश है’।स्वास्थ्य मंत्री दोपहर बाद राजधानी पहुंचते हैं और मीडिया के सामने वे तमाम बातें दुहराते हैं कि कैसे उपराज्यपाल दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहे, उनके इंतजामों को ठप करने में लगे हैं, दिल्ली की जिम्मेदारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री की भी है क्योंकि 10000 बेड केंद्रीय स्वास्थ्य संस्थानों के हैं। हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री लोगों से आग्रह करते हैं कि घबराए नहीं, सोमवार को जो मौत हुई चिकनगुनिया से वह दिल्ली के बाहर का मरीज था और गंभीर अवस्था में लाया गया था। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री दिल्ली के अस्पतालों का दौरा करने निकल जाते हैं।

मंगलवार को चिकनगुनिया पर ट्वीटर और मीडिया में बयानबाजी के जरिए चली पूरी राजनीति का लब्बोलुआब यह रहा कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से लाचार है, राजधानी अब एलजी के रहमोकरम पर है, सरकार के इंतजाम ठप किए जा रहे हैं। लेकिन, सवाल यह है कि इसके बावजूद दिल्ली सरकार जनता को नहीं घबराने का आश्वासन कैसे दे रही है।
सवाल यह भी है कि 2014 में जो केजरीवाल सरकार 49 दिनों में सत्ता यह कह कर छोड़ देती है कि उसकी पार्टी को बहुमत नहीं होने के कारण वह दिल्ली की जनता के साथ न्याय नहीं कर पाएगी, उसी पार्टी को जनता ने प्रचंड बहुमत से दुबारा लाया, अबकी बार केजरीवाल सरकार का रोना है कि उसके पास कलम खरीदने की भी ताकत नहीं, तो क्या वह फिर सत्ता छोड़ जनता के पास जाएगी?