अग्निपथ स्कीम (Agnipath Scheme) के ऐलान के दौरान कई पत्रकार भारतीय सेना चीफ जनरल मनोज पांडे और नौसेना प्रमुख एडमिरल आर.हरि कुमार से सवाल दागने लगे थे। इस बीच, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को दखल देना पड़ा। टोकते हुए वह बोले कि जरा आसमां की तरफ भी देख लीजिए। आप लोग तो खुद को सीमित कर रहे हैं।
दरअसल, यह पूरा वाकया मंगलवार (14 जून, 2022) का है। हुआ यूं कि स्कीम की घोषणा के दौरान रक्षा मंत्री हल्के मूड में नजर आए। योजना के बारे में बताने के बाद पत्रकार सीधे तौर पर जनरल पांडे या फिर एडमिरल कुमार से प्रश्न पूछ रहे थे। करीब एक घंटा चली प्रेस कॉन्फ्रेंस के आखिरी के 10 मिनट में सिंह ने दखल दिया और पत्रकारों को संकेत दिया कि वे एयर फोर्स चीफ से भी सवाल पूछें।
बकौल राजनाथ, “आसमां की ओर भी देखिए। मैं देख रहा हूं कि आप लोगों ने तो अपने आप को सिर्फ जमीन (आर्मी) और जल (नेवी) तक सीमित कर रखा है।” केंद्रीय मंत्री से इसके कुछ मिनटों बाद यह पूछा गया कि अगर भारत के पड़ोसी मुल्कों के पास इस तरह की योजना हो तो क्या होगा? सिंह ने जवाब दिया- हमने किसी की नकल करने की कोशिश की नहीं…जो नकल करके अपनी अक्ल बढ़ाने की कोशिश करते हैं, उनकी शक्ल बिगड़ जाती है।
देश के सामने आने वाली भावी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए केंद्र ने दशकों पुरानी रक्षा भर्ती प्रक्रिया में आमूलचूल फेरबदल किया है। थलसेना, नौसेना और वायुसेना में सैनिकों की भर्ती से जुड़ी ‘अग्निपथ’ योजना के तहत फौजियों की भर्ती चार साल की लघु अवधि के लिए संविदा आधार पर की जाएगी। अधिक योग्य और युवा सैनिकों को भर्ती करने के लिए दशकों पुरानी चयन प्रक्रिया में बड़े बदलाव के बारे में मंत्रालय ने बताया कि योजना के तहत तीनों सेनाओं में इस साल 46,000 सैनिक भर्ती किए जाएंगे और चयन के लिए पात्रता आयु 17.5 वर्ष से 21 वर्ष के बीच होगी और इन्हें ‘अग्निवीर’ नाम दिया जाएगा।
रोजगार के पहले वर्ष में एक ‘अग्निवीर’ का मासिक वेतन 30,000 रुपए होगा, लेकिन हाथ में केवल 21,000 रुपये ही आएंगे। हर महीने 9,000 रुपए सरकार के समान योगदान वाले एक कोष में जाएंगे। इसके बाद दूसरे, तीसरे और चौथे वर्ष में मासिक वेतन 33,000 रुपए, 36,500 रुपए और 40,000 रुपए होगा। हर ‘अग्निवीर’ को ‘सेवा निधि पैकेज’ के रूप में 11.71 लाख रुपए की राशि मिलेगी और इस पर आयकर से छूट मिलेगी। इस योजना का मकसद रक्षा विभाग के बढ़ते वेतन और पेंशन खर्च को कम करना है।
यह भर्ती ‘‘अखिल भारतीय, अखिल वर्ग’’ के आधार पर की जाएगी। इससे उन कई रेजींमेंट की संरचना में बदलाव आएगा, जो विशिष्ट क्षेत्रों से भर्ती करने के अलावा राजपूतों, जाटों और सिखों जैसे समुदायों के युवाओं की भर्ती करती हैं। सशस्त्र बलों द्वारा समय-समय पर घोषित की गई संगठनात्मक आवश्यकता और सेना की नीतियों के आधार पर चार साल की सेवा पूरी होने पर ‘अग्निवीर’ को सशस्त्र बलों में स्थायी नामांकन के लिए आवेदन करने का अवसर प्रदान किया जाएगा। योजना में नियमित सेवा के लिए हर बैच से 25 प्रतिशत सैनिकों को बरकरार रखने का प्रावधान किया गया है।
“योजना में युवाओं को मिले की पहचान के लिए काम करेगा UGC”: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) सशस्त्र बलों की ‘अग्निपथ’ योजना के तहत रंगरूटों को मिले कौशल को पहचानने की दिशा में काम करेगा, ताकि स्नातक कार्यक्रम में शामिल होने पर उनका आकलन किया जा सके। यह बात यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने मंगलवार को कही। बकौल कुमार, ‘‘अग्निपथ भारत के युवाओं के लिए सशस्त्र बलों का हिस्सा बनने के लिए एक बड़ी योजना है। यह उन्हें विभिन्न कौशल और एक अग्निवीर कौशल प्रमाणपत्र प्राप्त करते हुए हमारे देश की सेवा करने का अवसर प्रदान करती है।’’
