अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए सभी चार सीटें जीत ली हैं। लगातार दूसरे साल छात्रों ने कांग्रेस की छात्र इकाई भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) को नकार दिया और करारी शिकस्त दी। इस चुनाव में आप की छात्र इकाई सीवाईएसएस (छात्र युवा संघर्ष समिति) तीसरे स्थान पर रही। धुर वामपंथी आइसा को चौथे स्थान पर संतोष करना पड़ा।

जीत के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष सतेंदर अवाना ने कहा, ‘सीवाईएसएस के प्रयास केवल बैनरों तक ही सीमित रहे। उन्हें जमीनी हकीकत का पता नहीं था। हम छात्रों के बीच साल भर रहेंगे और अपने वादे पूरे करेंगे’। उन्होंने कहा कि सीवाईएसएस को वे चुनौती नहीं मानते, क्योंकि वह वास्तविक मुद्दों पर बात नहीं करती है, एक तरह से उन्होंने हमें फायदा पहुंचाया।

छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी के सतेंदर अवाना, सनी डेढ़ा, अंजलि राणा और छतरपाल यादव ने क्रमश: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर जीते। डूसू चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद किंग्सवे कैम्प में गणना स्थल के पास एबीवीपी कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल देखा गया। उन्होंने नारे लगाए और पटाखे फोड़े। एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने विजयी उम्मीदवारों को कंधों पर उठा लिया।

कॉलेजों में आम छात्रों के बीच सबसे ज्यादा चर्चा में रही आप की छात्र इकाई का कॉलेजवार संगठन खड़ा करने में पिछड़ जाना उसके लिए महंगा साबित हुआ। नतीजों ने साफ कर दिया कि कैडर और संगठन जीत-हार के लिए एक अहम घटक हैं। यही वजह है कि एक हफ्ते पहले तक तीसरे नंबर पर चल रही एनएसयूआइ को उसके कैडर छात्रों ने सीधी लड़ाई में लाकर खड़ा कर दिया। कॉलेजों में मौजूद अपने संगठन की वजह से वह ऐसा कर पाई।

सीवाईएसएस पहली बार मुकाबले में उतरी थी और वह प्राप्त मतों के आधार पर तीसरे स्थान पर रही। इस चुनाव में सबसे बड़ा झटका आप के अरविंद केजरीवाल को लगा है। छात्रों ने उनपर भरोसा नहीं किया। हालांकि सीवाईएसएस ने रोजगार मेला और कैंपस में लड़कियों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को लड़ाई की सूची में शामिल किया था। जीत के बाद छात्रों के लिए दिल्ली के सभी सात जोन में स्वास्थ केंद्र खोलने और ‘छात्रों के लिए कमाई मतलब प्लेसमेंट और वाई-फाई’पर सबसे पहले काम करने का वादा किया था। इसके अलावा कैंपस में यातायात, छात्रावास की सुविधा, वाई-फाई और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों और स्टाफ के लिए युनिवर्सिटी स्पेशल बसों को चलाए जाने जैसे मुद्दे पर भी काम करने का भरोसा दिया था, जिन पर छात्रों ने भरोसा नहीं किया।

एबीवीपी ने पिछले साल भी सभी चारों सीटों पर जीत दर्ज की थी। मुख्य चुनाव अधिकारी डीएस रावत ने कहा कि अवाना को 20,439 मत प्राप्त हुए और उन्होंने एनएसयूआइ के प्रदीव विजयारन को 6327 मतों के अंतर से पराजित किया जिन्हें 14,112 मत प्राप्त हुए। सनी डेढ़ा ने उपाध्यक्ष पद के लिए सीवाइएसएस की गरिमा राणा को 7570 मतों के अंतर से पराजित किया। धेधा को 19671 मत प्राप्त हुए जबकि राणा को 12,101 मत मिले। सचिव और संयुक्त सचिव पद के लिए एबीवीपी उम्मीदवारों की जीत का अंतर क्रमश: 4610 और 6065 रहा। एबीवीपी की अंजली राणा ने सचिव पद के लिए चुनाव में एनएसयूआइ के अमित सहरावत को पराजित किया। एबीवीपी के ही छतरपाल यादव ने एनएसयूआइ के दीपक चौधरी को पराजित कर संयुक्त सचिव पद पर कब्जा जमाया।

पिछले डूसू चुनाव में एबीवीपी ने सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की थी और एनएसयूआइ को पराजित किया था। केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली ने एबीवीपी की जीत पर ट्वीट कर बधाई दी। जेटली ने अपने राजनीतिक कॅरियर की शुरुआत डूसू से की थी। वे 1974 में डूसू के अध्यक्ष चुने गए थे। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी परिषद के सभी कार्यकर्ताओं को डूसू चुनाव में सभी सीटें जीतने के लिए बधाई दी और दावा किया कि यह विचारधारा की जीत है।