मध्य प्रदेश के 18 जिलों के 46 नगरीय निकायों के लिए बुधवार को वोट डाले गये। इस दौरान कई केंद्रों पर मतदाता सूचियों में कमियां तथा अन्य गड़बड़ियों की शिकायतें मिलीं। इस वजह से कई लोग मतदान करने से वंचित रह गये। इसको लेकर उनमें काफी आक्रोश भी है।
बैतूल जिले के गगन नाम के एक मतदाता को भी मतदान नहीं करने दिया गया। उसने मीडिया को बताया कि उसका नाम मृत लोगों की सूची में डाल दिया गया है। उसने अपना वोटर कार्ड और अपनी पहचान दिखाई। काफी मिन्नते कीं और खुद को जिंदा बताया, लेकिन मतदान कर्मियों ने उसका नाम मृत लोगों की सूची में होने पर अपनी विवशता बताकर उसे मतदान से रोक दिया।

गगन ने कहा कि कुछ लोगों की लापरवाही का नतीजा उसे भुगतना पड़ रहा है। अब वह इसकी शिकायत ऊपर के अफसरों से करेगा। इसी तरह की गड़बड़ी इससे पहले हुए नगर निगम के चुनाव में भी देखी गई थी। कई लोगों के नाम या तो मतदाता सूची में थे ही नहीं या फिर उन्हें मृत लोगों की सूची में डाल दिया गया था। इस पर अफसर भी कुछ ठीकठाक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उनका एक ही जवाब होता है कि मामले की जांच कराई जाएगी।

अगले साल होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले इस चुनाव की काफी अहम भूमिका है

राज्य में अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। इस लिहाज से यह नगरीय निकाय चुनाव बहुत महत्वपूर्ण हैं। राज्य की दोनों बड़ी पार्टियां सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस इसमें अधिक से अधिक सफलता के लिए जीजान से जुटी हैं।

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार को बड़ी राहत देते हुए राज्य के नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में ओबीसी आरक्षण को हरी झंडी दे दी थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि किसी भी स्थिति (ओबीसी, एससी-एसटी) में आरक्षण 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं मिलेगा।