MP Chunav Election Result 2018, MP Vidhan Sabha Election Chunav Result 2018: मध्य प्रदेश चुनाव में कांग्रेस का 15 साल का सत्ता से संन्यास अब खत्म हो चुका है। कांग्रेस ने 230 में से 114 सीटों पर जीत हासिल की है। इसके बाद चार निर्दलीयों के कांग्रेस में शामिल होने से बहुमत का आंकड़ा भी पार हो गया और सपा-बसपा के साथ से पार्टी 121 विधायकों के साथ सरकार बनाने जा रही है। लेकिन अब भी सबसे बड़ा सवाल यही है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? सिंधिया और कमल नाथ खुलकर तो कुछ नहीं कह रहे लेकिन समर्थक साफ संकेत दे रहे हैं कि फैसला इतना आसान नहीं होगा। ऐसे में एक नजर डालते हैं दोनों के कमजोर और मजबूत पक्ष पर…

1. किसका नेटवर्क सबसे तगड़ा?

कमलनाथ मध्य प्रदेश में कांग्रेस के पुराने नेता हैं। 1980 के बाद से लगातार वे सांसद बनते आए हैं, सिर्फ एक बार उनकी पत्नी अलका नाथ और एक बार भाजपा को इस सीट से मौका मिला है। संसद के सबसे वरिष्ठ सदस्य होने के साथ-साथ वे केंद्र भी लगातार अहम पदों पर सक्रिय रहे हैं। छिंदवाड़ा के अलावा बाकी इलाकों में उनकी पैठ ठीकठाक है लेकिन उतनी मजबूत नहीं। हालांकि दिग्विजय अब तक उनके साथ दिखे हैं और उनका पूरे प्रदेश में अच्छा नेटवर्क हो जो मददगार हो सकता है। दूसरी तरफ सिंधिया की मालवा, निमाड़ और चंबल क्षेत्र में अच्छी पकड़ है, उनके परिवार का पुराना रसूख उनके साथ है लेकिन दिग्विजय उनके पक्ष में नहीं दिख रहे हैं। इस मामले में कमलनाथ आगे नजर आ रहे हैं। टिकट वितरण में भी कमलनाथ और दिग्विजय की जोड़ी सिंधिया पर भारी पड़ी थी।

2. राहुल का सच्चा सिपाही कौन?

ज्योतिरादित्य सिंधिया संसद से लेकर संगठन तक राहुल गांधी के काफी करीबी माने जाते हैं। राहुल के अध्यक्ष बनने से पहले भी सिंधिया उनकी पांच लोगों की कोर कमेटी में शामिल रहे हैं। कमल नाथ पुराने कांग्रेसी होने के चलते गांधी परिवार के पुराने वफादारों में शामिल रहे हैं। ऐसे में निजी तौर पर राहुल गांधी से संबंधों की बात करें तो सिंधिया भारी पड़ते नजर आ रहे हैं। लेकिन गांधी परिवार से पुरानी घनिष्ठता कमल नाथ को संतुलन की स्थिति में ला सकते हैं।
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3. युवा या अनुभव किसे देंगे तरजीह?

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का जोर अब तक युवा नेताओं पर ज्यादा रहा है। उन्होंने अध्यक्ष बनने के बाद कई धुरंधर नेताओं को अलग कर अपनी नई टीम बनाने पर जोर दिया है। लेकिन 2019 के लिहाज से वे अनुभव को तरजीह दे सकते हैं क्योंकि चंद महीनों के भीतर एक बार फिर पार्टी को मैदान में उतरना है। दिग्विजय-कमलनाथ की जो अघोषित जोड़ी कांग्रेस में है उसकी राहुल गांधी के फैसले में अहम भूमिका हो सकती है। इस मामले में कमलनाथ को मौका मिलने की संभावना ज्यादा है।

4. जनता से जुड़ाव किसका ज्यादा?

व्यक्तिगत तौर पर दोनों नेताओं की बात की जाए तो मध्य प्रदेश में सिंधिया को जनता के ज्यादा करीब बताया जा रहा है। सोशल मीडिया से लेकर जनसभाओं तक की बात करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में माहौल ज्यादा नजर आता है। खासतौर से भाजपा ने कांग्रेस की पिछली सरकार के हालातों को खूब प्रचारित किया है, इसके साथ ही यह भी बताया कि कमल नाथ और दिग्विजय एक ही जैसे हैं। युवाओं में खासतौर से सिंधिया ज्यादा लोकप्रिय माने जा रहे हैं।

5. प्रचार में कौन आगे

सिंधिया को मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार की बागडोर भी सौंपी गई थी। वे जनसभाओं और रैलियों के मामले में कमल नाथ से आगे रहे हैं। सिंधिया ने कांग्रेस की सभी नेताओं की तुलना में सबसे ज्यादा सीटों पर प्रचार किया है। सोशल मीडिया के माध्यम से भी लोगों तक पहुंचने में सिंधिया ज्यादा सफल माने जा रहे हैं।

6. लोकसभा चुनाव- 2019

लोकसभा में मध्य प्रदेश की 29 सीटें हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद दो नेता अपनी सीटें बचाने में कामयाब रहे थे। वो दोनों सिंधिया और कमलनाथ ही हैं। लेकिन किसी भी एक का चयन 2019 के लोकसभा चुनाव पर सीधा असर डाल सकता है। इस मसले पर दोनों मेंसे किसी एक का चयन थोड़ मुश्किल है। लेकिन कुल मिलाकर ज्यादातर बिंदुओं पर कमल नाथ आगे निकलते दिख रहे हैं। ऐसे में उन्हें जिम्मेदारी मिलने की संभावना ज्यादा है।