कंप्यूटर बाबा की मुश्किलें बढ़ गई हैं। म.प्र के इंदौर में सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण के आरोप में उन्हें और छह अन्य लोगों को रविवार को एहतियाती तौर पर अरेस्ट कर लिया गया। निगम और प्रशासन की टीम ने इस दौरान वहां अवैध निर्माण भी ढहा दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को पुलिस अधीक्षक (पश्चिमी क्षेत्र) महेशचंद्र जैन ने बताया कि इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में बाबा के आश्रम परिसर में प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण ढहाए जाने के दौरान दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिये की जाने वाली एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत यह कदम उठाया गया। बाबा और उनसे जुड़े छह अन्य लोगों को एहतियातन गिरफ्तार कर एक स्थानीय जेल भेजा गया है।
अधिकारियों के अनुसार, प्रशासनिक जांच के दौरान बाबा के आश्रम परिसर में दो एकड़ शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा और निर्माण प्रमाणित पाया गया था। हालांकि, यह आश्रम 40 एकड़ से ज्यादा जमीन पर फैला है और इसका मौजूदा बाजार मूल्य लगभग 80 करोड़ रुपये आंका जा रहा है। राजस्व विभाग ने इस मामले में आश्रम के कर्ता-धर्ताओं पर कुछ दिन पहले 2,000 रुपये का अर्थदंड लगाया था और उन्हें शासकीय भूमि से अवैध निर्माण हटाने को कहा गया था। अतिक्रमण नहीं हटाए जाने पर प्रशासन ने आश्रम का सामान बाहर निकालकर अवैध निर्माण ढहा दिये जिनमें शेड और कमरे शामिल हैं। इस दौरान वहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया था। अतिक्रमण से मुक्त कराई गई जमीन पर गौशाला का निर्माण कराया जाएगा और वहां धार्मिक स्थल विकसित किया जाएगा।
इसी बीच, कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने इस मुद्दे पर कहा है- इंदौर में बदले की भावना से Computer बाबा का आश्रम और मंदिर बिना किसी नोटिस दिए तोड़ा जा रहा है। यह राजनैतिक प्रतिशोध की चरम सीमा है। मैं इसकी निंदा करता हूं।
ज्य की 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को संपन्न उप चुनावों से पहले कम्प्यूटर बाबा ने अन्य साधु-संतों के साथ ‘लोकतंत्र बचाओ यात्रा’ निकाली थी। चुनाव क्षेत्रों से गुजरी इस यात्रा में कम्प्यूटर बाबा ने कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों को ‘गद्दार’ बताया था जिनके विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को सूबे की सत्ता में लौट आई थी।
कम्प्यूटर बाबा राज्य में इससे पहले भी कांग्रेस के पक्ष में चुनावी अभियान चला चुके हैं। नर्मदा नदी की कथित बदहाली के प्रमुख मुद्दे पर उन्होंने नवंबर 2018 के पिछले विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा के खिलाफ संतों को राज्य भर में लामबंद करने का अभियान चलाया था। लोकसभा के पिछले चुनावों में उन्होंने भोपाल सीट से कांग्रेस प्रत्याशी दिग्विजय सिंह के समर्थन में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किये थे।
कंप्यूटर बाबा का असल नाम नामदेव दास त्यागी है। साल 1998 में म.प्र के नरसिंहपुर में एक संत ने उन्हें “कंप्यूटर बाबा” नाम दिया था। दरअसल, त्यागी कार्टून देखने के लिए अपना लैपटॉप हर वक्त साथ रखकर चलते हैं। चूंकि, वह संत “गैजेट्स और टेक्नोलॉजी में नामदेव दास त्यागी की रुचि से खासा प्रभावित हुए थे। ऐसे में उन्होंने उन्हें कंप्यूटर बाबा नाम दे दिया।”
इंदौर में कम्प्यूटर बाबा के आश्रम पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई.आश्रम का अतिक्रमण हटाया..कम्प्यूटर बाबा सहित 6 गिरफ्तार,कम्प्यूटर बाबा ने उपचुनाव में किया था @INCMP @INCIndia का प्रचार, @BJP4India @BJP4MP ने भी दिया था मंत्री का दर्जा @ndtv @ndtvindia pic.twitter.com/u064ugOpyo
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) November 8, 2020
कंप्यूटर बाबा अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं। वह बीजेपी के खिलाफ बयान भी देते रहे हैं। हाल ही में म.प्र की सभी 28 उपचुनाव सीटों पर जाकर प्रचार भी किया था। माना जा रहा है कि वह बीजेपी के निशाने पर थे। बाबा का ताल्लुक दिगंबर अखाड़ा से है। मूल रूप से वह इंदौर के हैं। कंप्यूटर बाबा नाम के पीछे एक कारण यह भी बताया जाता है कि त्यागी की याददाश्त तेज और उनका दिमाग कंप्यूटर जैसा चलता है। बाबा को काफी टेक्नोसेवी हैं। हाई-फाई स्मार्टफोन और नए गैजेट्स के शौकीन हैं।
#WATCH Madhya Pradesh: District Administration today demolished an illegal construction belonging to Computer Baba in Indore.
“Six people have been detained as they tried to obstruct demolition process,” says Additional District Magistrate (ADM), Indore pic.twitter.com/iX7ggDRk0k
— ANI (@ANI) November 8, 2020
साल 2018 में तब की शिवराज सरकार में उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा मिला था। कांग्रेस ने तब विरोध किया था। पर बाद में समय का पहिया घूमा और कंप्यूटर बाबा चौहान से खफा हो गए थे। वह इसके बाद कांग्रेस का समर्थन करने लगे थे। वह म.प्र में कमलनाथ के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में नदी संरक्षण न्यास के अध्यक्ष रह चुके हैं। (भाषा इनपुट्स के साथ)