बसपा सुप्रीमो मायावती ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पाकिस्तान को दी गई सलाह पर तंज कसते हुए कहा कि पाकिस्तान के बारे में की गई बयानबाजी ‘दूसरों को नसीहत, खुद की फजीहत’ की कहावत को चरितार्थ करती है। मायावती ने कहा, ‘आश्चर्य की बात यह है कि सीमापार से लगातार हो रहे आतंकी हमलों से हो रहे जानमाल के भारी नुकसान को रोक पाने की सफलताओं छुपाने और अपनी कमजोरियों से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए अब पाकिस्तान को गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा के खिलाफ जंग लड़ने की सलाह दी जा रही है। साथ ही इस बारे में पाकिस्तान की जनता को भी सलाह दी जा रही है जबकि इनकी यह बयानबाजी वास्तव में …दूसरों को नसीहत, खुद की फजीहत… के बहुप्रचलित मुहावरे को चरितार्थ करती है।’

मायावती ने कहा कि पाकिस्तान सरकार और वहां की जनता को कोरी सलाह देने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए कि उनके पिछले ढाई साल के शासन के दौरान गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, अशिक्षा के साथ साथ जनहित और जन कल्याण के मामले में भी इनका :मोदी सरकार का: रिकार्ड काफी ज्यादा खराब रहा है। मायावती ने कहा कि जम्मू कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले में 18 जवानों के बलिदान से देश के लोगों में जबर्दस्त आक्रोश है। देश के लोग केंद्र सरकार खासकर मोदी से ऐसे ठोस आश्वासन और प्रभावी कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं कि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो।

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उन्होंने कहा कि देश की जनता हालांकि केंद्रीय मंत्रियों खासकर प्रधानमंत्री की बार बार बयानबाजी और आश्वासनों से तंग आ चुकी है। अब लोग चाहते हैं कि आतंकी घटनाओं में लोगों के जान माल खासकर सैनिकों पर होने वाले लगातार हमले समाप्त हों। इसमें जनता को केंद्र की वर्तमान भाजपा सरकार से मायूसी हाथ लगी है। मायावती ने कहा, ‘इतना ही नहीं प्रधानमंत्री मोदी अपने एक्शन से देश को भरोसा नहीं दिला पा रहे हैं कि आगे ऐसा नहीं होगा। अब हमारी सीमाएं सुरक्षित हैं, कोई आतंकी घुसपैठ नहीं कर पाएगा, हमारे किसी भी नागरिक और सैनिक का सीमा पार से आतंकी घटनाओं में बलिदान नहीं होगा।’

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उन्होंने कहा कि इन सब मामलों में आमराय से ठोस और दीर्घावधिक नीति बनाकर उस पर अमल करने की बजाय मोदी सरकार लोगों का ध्यान बंटाकर उन्हें गुमराह करने का प्रयास करती नजर आ रही है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान किये गये वादे पूरे नहीं करने के कारण ही भाजपा को विभिन्न राज्यों, खासकर दिल्ली, बिहार, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में करारी हार का सामना करना पड़ा।

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