राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले हफ्ते प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा था जिसमें  राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मानगढ़ धाम को “राष्ट्रीय स्मारक” घोषित करने की मांग राखी गयी थी। आज यानि मंगलवार (1 नवबंर, 2022) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांसवाड़ा जिले के मानगढ़ धाम में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि देने के दौरान मंच साझा किया। इस दौरान सरकार ने एक बयान जारी कर बताया कि पीएम मोदी ने राजस्थान के मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में घोषित कर दिया है।

मानगढ़ धाम को चर्चित जलियांवाला बाग हत्याकांड  से छह साल पहले हुए आदिवासियों के नरसंहार के लिए जाना जाता है और इसे कभी-कभी “आदिवासी जलियांवाला” भी कहा जाता है। ब्रिटिश सेना ने 17 नवंबर, 1913 को राजस्थान और गुजरात की सीमा पर मानगढ़ की पहाड़ियों में सैकड़ों भील आदिवासियों को मार डाला था।  8 अगस्त को अशोक गहलोत द्वारा पीएम मोदी को लिखे एक पत्र में  नरसंहार में के दौरान 1500 आदिवासियों के मारे जाने का जिक्र है। 

आदिवासी वोटों को साधने का प्रयास

मानगढ़ धाम राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के आदिवासियों के लिए एक पवित्र स्थान है और आदिवासी इसे अपनी पहचान के रूप में पेश करते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक रूप से इस जगह के महत्व को समझते हैं और इसका उपयोग करना चाहते हैं। जहां इस साल गुजरात में चुनाव होने हैं वहीं अगले साल मध्य प्रदेश और राजस्थान में भी चुनाव होने हैं। भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) की बढ़ती प्रासंगिकता भी यहां मायने रखती है। 

इस इलाके के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2017 में गठित बीटीपी के मुख्य उद्देश्यों में से एक अलग “भील प्रदेश” का निर्माण है और उस लक्ष्य की जड़ें मानगढ़ धाम में हैं। बीटीपी राजस्थान के अध्यक्ष डॉ वेलाराम घोगरा के अनुसार, भील समाज सुधारक और आध्यात्मिक नेता गोविंद गुरु ने 1913 में मानगढ़ हत्याकांड के बाद सबसे पहले आदिवासियों के लिए अलग राज्य की मांग उठाई थी।

एक सदी बीत जाने के बाद यह मांग आखिरकार जनजातीय राजनीति और समुदाय के हितों को जोड़ने के बीटीपी के उद्देश्य के साथ गति पकड़ती दिख रही है। बीटीपी चार राज्यों में फैले 39 जिलों में से एक भील प्रदेश बनाने की कल्पना करती  है जिनमें गुजरात के 16 राजस्थान के 10  मध्यप्रदेश के  7 और महाराष्ट्र के 6 राज्य शामिल हैं। 

राजस्थान में आदिवासी प्रदेश के सबसे दक्षिणी जिलों बांसवाड़ा, जहां सभी पांच विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं डूंगरपुर जहां की चार, प्रतापगढ़ में दो, उदयपुर की आठ में से पांच सीटें एवं सिरोही तक मौजूद है जहां एसटी के लिए एक सीट आरक्षित है।

इन पांच जिलों की एसटी सीटों को मिलाकर राज्य की कुल 25 सीटों में से 17 सीटें हैं। इन 25 में से कांग्रेस के पास 13 और बीजेपी के पास 8 सीटें हैं जबकि  बीटीपी और  निर्दलीय के पास दो-दो सीटें हैं।

हालांकि बीटीपी के बढ़ने से भाजपा-कांग्रेस जैसी दोनों बड़ी पार्टियों के बीच बेचैनी बढ़ गई है। यह घबराहट दिसंबर 2020 में राजस्थान जिला परिषद (ZP) चुनावों के दौरान दिखाई दी थी। जब सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के जिला परिषद सदस्य एक जिला प्रमुख उम्मीदवार को हराने के लिए एकजुट हुए थे  जिसे बीटीपी ने डूंगरपुर में समर्थन दिया था। बीटीपी समर्थित निर्दलीय ने डूंगरपुर जिला परिषद की 27 में से 13 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि भाजपा और कांग्रेस ने आठ और छह सीटों पर जीत हासिल की थी।

मोदी ने आखिरी बार सितंबर में इस क्षेत्र का दौरा किया था जब उन्होंने आबू रोड़ पर बिना माइक के लोगों को संबोधित किया था क्योंकि उनके पहुंचने तक रात के 10 बज चुके थे। इस महीने की शुरुआत में जनजातीय मामलों की राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने बांसवाड़ा में एक जनजातीय सहकार सम्मेलन का उद्घाटन किया था।