तेजी से बढ़ रही टीबी जैसे संक्रामक बिमारी पर काबू पाने के लिए महाराष्ट्र सरकार थूकने के खिलाफ कानून बनाने जा रही है। सरकार अगले महीने शुरू होने जा रहे विधानसभा के बजट सत्र में यह विधेयक पेश कर सकती है। इस विधेयक में सार्वजनिक जगहों पर थूकने पर जुर्माना लगाने का प्रावधान होगा। पिछले साल ‘विश्व कैंसर दिवस’ पर आयोजित एक कार्यक्रम में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री दीपक सावंत ने यह विचार पेश किया था। उन्होंने सार्वजनिक जगहों पर तंबाकू खाने पर प्रतिबंध संबंधी एक प्रस्तावित कानून के अलावा ऐसी जगहों पर जहां तहां थूकने की मनाही संबंधी एक कानून लाने की बात कही थी। मंत्री ने कल कई बार ट्वीट करके कहा कि प्रस्तावित कानून का मकसद सार्वजनिक जगहों पर लोगों को थूकने से रोकना है। उन्होंने बताया कि भारी जुर्माना लगाए जाने के अलावा सरकार दोषियों से सार्वजनिक जगहों की सफाई कराने जैसे सामाजिक सेवा के काम कराने की योजना बना रही है।
सावंत ने कहा, ‘‘इस संबंध में कानून एवं न्यायिक विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जा रही है। समूचे राज्य में संक्रामक रोगों में तेजी से हो रहे विस्तार को देखते हुए थूकने पर मनाही संबंधी कानून लाने का फैसला किया गया है जिसे नौ मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पेश किए जाने की संभावना है।’’ सचिव, कानून एवं न्यायिक विभाग एन जे जमादार ने बताया कि निश्चित रूप से वह मंत्री की ओर से भेजे गए विभागीय नोट पर गौर करेंगे। प्रस्तावित कानून के मुताबिक, पहली बार थूकने पर दोषियों को 1,000 रूपये का जुर्माना अदा करना होगा और सार्वजनिक स्थान या सरकारी कार्यालयों में एक दिन के लिए सामुदायिक सेवा करनी होगी। दूसरी बार ऐसा करते हुए पाए जाने पर दोषी पर 3,000 रूपये का जुर्माना लगाने और तीन दिनों के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान है और बार बार ऐसा करते पाए जाने पर 5,000 रूपये के जुर्माने और पांच दिनों की सामुदायिक सेवा का प्रावधान है।
सावंत ने कहा, ‘‘मामूली जुर्माना लगा देना ही काफी नहीं है और इसलिए सरकार ने सामुदायिक सेवा को जरूरी करने का फैसला किया है। दोषी को एक झाड़ू दी जाएगी और उसे सार्वजनिक जगहों या सरकारी कार्यालयों की सफाई करके सामुदायिक सेवा करने के लिए कहा जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि इसका मकसद दोषी को सफाई की अहमियत समझाना और ऐसी प्रवृत्ति को बार बार दोहराए जाने पर रोक लगाना