संजय राउत के जेल जाने के बाद सामना के संपादक बने उद्धव ठाकरे के निशाने पर बीजेपी के साथ अब विपक्षी दलों के नेता भी हैं। हैरत की बात है कि उन्होंने राकांपा प्रमुख शरद पवार को भी निशाने पर लिया है। उन्होंने ममता बनर्जी को भी नहीं बख्शा। तीखे तेवरों में दोनों नेताओं की जमकर आलोचना की।

Op-Ed में उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका की मुक्त कंठ से तारीफ करते हुए कहा कि महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर जिस तरह से दोनों ने सड़क पर उतरकर हल्ला बोला, वो काबिले तारीफ है। दोनों ने सरकारी तंत्र की परवाह किए बगैर सरकार पर जमकर निशाना साधा। दोनों की जितनी तारीफ की जाए वो कम है। वो किसी से डरे नहीं बल्कि अपनी सारी ताकत को लगाकर विरोध जताया।

उद्धव ने शरद पवार के इस प्रदर्शन से दूर रहने के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि ये गलत था। पवार और उनकी पार्टी को कांग्रेस के साथ खड़े होना चाहिए था। आज सारा देश महंगाई और बेरोजगारी से कराह रहा है। पवार जैसे जिम्मेदार विपक्षी नेताओं को छोटी-छोटी बातों को दरकिनार कर इस देश व्यापी प्रदर्शन में कांग्रेस के साथ खड़ा होना था। इससे विपक्ष को धार मिलती।

उन्होंने ममता बनर्जी पर निशाना साध कहा कि वो उप राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग से ही दूर रहीं। इसके लिए उन्होंने जो कारण गिनाए वो हास्यास्पद हैं। उनके सूबे में ईडी और सीबीआई कहर बरपा रहे हैं। ऐसे में उन्हें विपक्षी एकता की कोशिश करनी चाहिए थी। सामना में लिखा गया कि आज बीजेपी ने ईडी और सीबीआई को विपक्षी नेताओं की आवाज दबाने का हथियार बना दिया है।

उद्धव का कहना था कि जो अपनी पूंछ को टांगों के बीच दबाए बैठे हैं वो समझ लें कि बचने वाले वो भी नहीं हैं। महाराष्ट्र में सभी ने देखा कि किस तरह से सरकार को गिराया गया। लेकिन वो इससे डरे नहीं। राउत अरेस्ट हुए तो शिवसेना ने विरोध जताया। उनका कहना था कि आज बीजेपी के दमन को बेअसर करने के लिए सारे विपक्ष को एकजुट होने की जरूरत है। लेकिन विपक्ष के नेता अपने हितों की राजनीति में लगे हैं। जब उन्हें एकजुट होकर सरकार पर करारा हमला बोलना था तब वो ऐसा कारण गिनाकर दूर हट रहे हैं जिनकी कोई अहमियत ही नहीं है।